- डॉ जेम्स नाइस्मिथ ने बास्केटबॉल खेल की खोज की थी
- बास्केटबॉल खेल स्टूडेंट्स के समय का उपयोग करने के लिए बनाया गया था
- ठंड के महीनों में स्टूडेंट्स अपने कमरों में बंद हो जाते थे
नई दिल्ली: करीब 130 साल पहले कनाडाई-अमेरिकी फिजिकल शिक्षक, प्रोफेसर, डॉक्टर और कोच जेम्स नाइस्मिथ ने कड़कड़ाती ठंड के बीच स्टूडेंट्स को व्यस्त रखने के लिए एक खेल का आविष्कार किया, जिसे बास्केटबॉल के नाम से जाना जाता है। अब गूगल ने नाइस्मिथ और खेल के दुनिया में उनके योगदान को एक एनिमेटेड डूडल से सम्मानित किया है।
डॉ जेम्स नाइस्मिथ ने 15 जनवरी 1891 को बास्केटबॉल खेल की खोज की थी। कनाडा के ओंटारियो में 6 नवंबर 1861 को जन्में नाइस्मिथ ने खेल और शारीरिक शिक्षा में रुचि दिखाई। उन्होंने अपनी रुचि बरकरार रखी और 1888 में मैकगिल यूनिवर्सिटी से फिजिकल एजुकेशन में स्रनातक डिग्री प्राप्त की। वहीं उन्होंने बाद में फिजिकल एजुकेशन टीचर के रूप में अपने करियर की शुरूआत भी की।
डूडल शु्क्रवार को गूगल सर्च पेज पर शुक्रवार को नजर आ रहा है, जो नाइस्मिथ के खेल के नियम की सालगिरह बना रहा है। नाइस्मिथ ने 1892 से कुछ सप्ताह पहले ही स्प्रिंगफील्ड कॉलेज स्कूल न्यूजपेपर में खेल के नियम की खोज की थी। नाइस्मिथ एक प्रतिभाशाली एथलीट थे, जिन्होंने मॉन्ट्रियाल की मैकगिल यूनिवर्सिटी में कनाडाई फुटबॉल, लैकरॉस, रग्बी, सॉकर और जिम्नास्ट्क्सि खेला था। 1888 में फिजिकल एजुकेशन में स्रनातक डिग्री प्राप्त करने के बाद नाइस्मिथ ने मैसाचुसेट्स में स्प्रिंगफील्ड में वायएमसीए अंतरराष्ट्री ट्रेनिंग स्कूल में फिजिकल एजुकेशन टीचर की नौकरी की।
ऐसे हुआ बास्केटबॉल का जन्म
स्प्रिंगफील्ड वायएमसीए में नाइस्मिथ को इंडोर गेम बनाने का कार्य मिला, जो इंग्लैंड की कड़कड़ाती ठंड में राउडी स्टूडेंट्स के लिए एथलेटिक डिस्ट्रेक्शन (पुष्ट व्याकुलता) का काम करे। डॉ जेम्स नाइस्मिथ ने बुलेटिन बोर्ड पर अपने नए खेल के 13 नियम बनाए और 21 दिसंबर 1891 को उनकी अरुचिकर क्लास को एक शॉट के लिए कोर्ट पर ले जाया गया।
सॉकर बॉल का इस्तेमाल करते हुए प्रत्येक टीम में 9 खिलाड़ी एक-दूसरे को पास (ड्रिबलिंग नहीं) देते हुए आगे बढ़ते हैं और फ्लोर से 10 फीट ऊंचे बने पीच बास्केट में शॉट खेलते हैं। ऐसे बास्केट बॉल खेल का जन्म हुआ। आविष्कारक ने अपने नए खेल को नाइस्मिथ बॉल नाम देने से इंकार कर दिया और 1893 तक वायएमसीए मूवमेंट के जरिये इस खेल की लोकप्रियता अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैल चुकी थी।
1898 में मेडिकल डिग्री हासिल करने के बाद नाइस्मिथ कंसास यूनिवर्सिटी में बतौर फैकल्टी जुड़े। यहां वो जयहॉक के पहले बास्केटबॉल कोच बने। दुख की बात यह है कि वह कंसास बास्केटबॉल इतिहास के एकमात्र कोच हैं, जिनका हारने का रिकॉर्ड (55-60) ज्यादा है। नाइस्मिथ के बास्केटबॉल का आविष्कार करने के एक दशक बाद इस खेल ने 1904 ओलंपिक गेम्स में डेमो खेल के रूप में डेब्यू किया। 1936 बर्लिन गेम्स में यह आधिकारिक इवेंट बना।
नाइस्मिथ अलगाव के मजबूत विरोधी थे और नस्लीय संबंधों को सुधारने के लिए प्रयासरत थे। और यद्यपि वह केयू वर्सिटी बास्केटबॉल टीम में ब्लैक खिलाड़ी नहीं पा सके, लेकिन उन्होंने ब्लैक के छात्रों को स्कूल के पूर्व के सभी सफेद स्विमिंग पूल तक पहुंच बनाने में मदद की।
1937 में नाइस्मिथ विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए और दो साल बाद 78 साल की उम्र में उनका ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया। मैसाचुसेट्स के स्प्रिंगफील्ड में स्थित एनबीए के हॉल ऑफ फेम को उनके सम्मान में नामित किया गया है। जिस खेल का उन्होंने आविष्कार किया वह अब दुनिया भर के लगभग 200 देशों में खेला जाता है।