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पैरालंपिक में भारत ने 53 सालों में 12 मेडल जीते, जानिए किस खिलाड़ी को किस खेल में मिली सफलता

Updated Aug 23, 2021 | 20:59 IST

भारत ने पैरालंपिक खेलों के 53 साल के इतिहास में 12 मेडल अपने नाम किए हैं। जानिए किस खिलाड़ी को किस खेल में सफलता हाथ लगी।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
गिरीशा नागराजेगौड़ा
मुख्य बातें
  • पैरालंपिक का आगाज मंगलवार से हो रहा है
  • भारत का 54 सदस्यीय दल इसमें भाग लेगा
  • पैरालंपिक की शुरुआत 1968 में हुई थी

नई दिल्ली: टोक्यो पैरालंपिक खेल मंगलवार से शुरू हो रहे हैं। इन खेलों की शुरुआत 1968 से हुई थी तब से लेकर भारत ने इनमें 12 पदक जीते हैं जिसमें चार स्वर्ण, चार रजत और इतने की कांस्य पदक शामिल हैं। आज हम आपका परिचय इन खेलों के पदक विजेताओं से करा रहे हैं।


हीडलबर्ग, पैरालंपिक 1972

मुरलीकांत पेटकर (स्वर्ण पदक) : पेटकर ने पुरुषों की 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी स्पर्धा में 37.33 सेकंड का समय लेकर विश्व रिकार्ड बनाने के साथ स्वर्ण पदक जीता था। यह भारत का पैरालंपिक खेलों में पहला पदक था। पेटकर सेना में मुक्केबाज थे लेकिन 1965 के भारत-पाक युद्ध में अपना हाथ गंवाने के बाद वह तैराकी में चले गये थे। वह पैरालंपिक और ओलंपिक में भारत के पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता हैं।


न्यूयार्क (अमेरिका), स्टॉक मैंडविल (ब्रिटेन) पैरालंपिक 1984

जोगिंदर सिंह बेदी (एक रजत, दो कांस्य पदक) बेदी ने गोला फेंक स्पर्धा में रजत पदक, जबकि चक्का और भाला फेंक स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीते। वह पैरालंपिक खेलों में सबसे अधिक पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हैं।

भीमराव केसरकर (रजत पदक) : केसरकर ने 1984 पैरालिंपिक में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीता था। हमवतन जोगिंदर सिंह बेदी ने इस स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था।


एथेंस पैरालंपिक 2004

देवेंद्र झाझरिया (स्वर्ण पदक) : झाझरिया ने एथेंस खेलों में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर पैरालंपिक खेलों में पदक का भारत का 20 साल का इंतजार समाप्त किया था। एथेंस में 62.15 मीटर के थ्रो के साथ उन्होंने नया विश्व रिकार्ड बनाया। उन्होंने 12 साल बाद इसमें सुधार किया। वह तोक्यो में भी अपनी चुनौती पेश करेंगे।

राजिंदर सिंह राहेलू (कांस्य पदक) : राहेलू ने पावरलिफ्टिंग में पुरुषों के 56 किग्रा भार वर्ग में 157.5 किग्रा के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता था। पंजाब के जालंधर जिले के मेहसमपुर गांव में जन्मे राहेलू को आठ महीने की उम्र में पोलियो हो गया था।


लंदन पैरालंपिक, 2012

गिरीशा नागराजेगौड़ा (रजत पदक) : लंदन पैरालंपिक खेलों में एकमात्र भारतीय पदक विजेता। नागराजेगौड़ा ने पुरुषों की ऊंची कूद में 1.74 मीटर की कूद लगाकर रजत पदक जीता था। वह इस स्पर्धा में पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे।


रियो पैरालंपिक, 2016

देवेंद्र झाझरिया (स्वर्ण पदक) : रियो पैरालंपिक खेलों में झाझरिया ने 63.97 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता और इस तरह से पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। उन्होंने 12 साल पहले एथेंस पैरालंपिक खेलों के अपने विश्व रिकार्ड में सुधार किया। अब उनकी निगाह स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी करने पर है।

मरियप्पन थंगावेलु (स्वर्ण पदक) : थंगावेलु ने रियो खेलों में ऊंची कूद स्पर्धा में 1.89 मीटर कूद लगाकर स्वर्ण पदक जीता। वह देश के तीसरे स्वर्ण पदक विजेता पैरालंपियन बने थे। तमिलनाडु के सलेम जिले के रहने वाले थंगावेलु पांच साल की उम्र में दिव्यांग हो गये थे।

दीपा मलिक (रजत पदक) : दीपा मलिक पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला है। उन्होंने रियो खेलों में गोला फेंक में 4.61 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक जीता। उनके कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है।

वरुण सिंह भाटी (कांस्य पदक) : भाटी ने रियो खेलों में ऊंची कूद में कांस्य पदक जीता था। इस स्पर्धा में मरियप्पन थंगावेलु ने स्वर्ण पदक जीता था। भाटी ने 1.86 मीटर के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ कांस्य पदक हासिल किया था।