- निकहत जरीन ने बयां किया दिल का दर्द
- पिता का विरोध करके बनीं थी मुक्केबाज
- भारत का नाम रोशन किया, बनी थीं विश्व जूनियर बॉक्सिंग चैंपियन
चेन्नईः भारतीय मुक्केबाजी निकहत जरीन ने गुरुवार को कहा कि अपने जीवन में उन्होंने कई अड़चनों को पार किया है जिसमें उनके पिता का विरोध भी शामिल है जिन्होंने एक बार उनसे कहा था कि ‘मुक्केबाजी महिलाओं के लिए नहीं है’। जरीन ने कहा कि इन शब्दों ने उन्हें चुनौती दी और वह अपने पिता को गलत साबित करना चाहती थी।
जरीन ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘मुझे कड़ी मेहनत करनी पड़ी और कई अड़चनों से उबरना पड़ा जिसमें ये शब्द भी शामिल हैं कि मुक्केबाज महिलाओं के लिए नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लोगों को बोलना पड़ा कि मेरे चेहरे को कुछ नहीं होगा और मेरी सुंदरता बरकरार रहेगी।’’
पूर्व विश्व जूनियर मुक्केबाजी चैंपियन जरीन ने कहा कि उनके पिता के शब्दों ने उन्हें मुक्केबाजी में करियर बनाने के लिए उकसाया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अब भी अपने पिता की आवाज को अपने सिर में गूंजते हुए महसूस कर सकती हूं कि मुक्केबाजी महिलाओं के लिए नहीं है, समाज क्या सोचेगा और यह पुरुषों का खेल है।’’
जरीन ने कहा, ‘‘ये शब्द मुझे चुनौती देते हैं और मैं यह साबित करने के लिए रिंग में उतरना चाहती थी कि मुक्केबाजी को इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप महिला हो या पुरुष। यह इच्छा और महत्वाकांक्षा है जो मायने रखती है। मुक्केबाजी मेरे लिए रवैये और गौरव से जुड़ा है।’’ इस मौके पर जरीन के साथ दिग्गज स्क्वाश खिलाड़ी दीपिका पल्लीकल और पूर्व मिस वर्ल्ड मानुशी छिल्लर भी मौजूद थी।