- नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीता
- एथलेटिक्स में भारत का पहला ओलंपिक मेडल
- नीरज से टाइम्स नाउ नवभारत ने खास बातचीत की
एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रच दिया। नीरज ने शनिवार को जैवलीन थ्रो ( भाला फेंक) में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक मेडल है। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंककर कामयाबी हासिल की। वह देश के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं। नीरज से पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था।
'जब देश लौटूंग तो अहसास होगा कि कुछ किया है'
गोल्ड जीतने के बाद नीरज चोपड़ा ने टाइम्स नाउ नवभारत से खास बातचीत की। नीरज से सवाल पूछा गया कि आप गोल्ड जीतने की फीलिंग को कैसे बयान करेंगे? इसपर एथलीट ने कहा कि मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं सभी देशवासियों को उनके प्यार, दुआ और सपोर्ट के लिए धन्यवाद करना चाहता हूं। मुझे अभी इतना फील नहीं हो रहा है। लेकिन जबदेश लौटूंगा तो अहसास होगा कि मैंने देश के लिए कुछ किया है।
'किसी ने मुझसे आगे थ्रो कर दिया तो फिर...'
नीरज ने आगे बताया कि जब वह गोल्ड पर कब्जा जमाने के करीब तो उनके मन में क्या चल रहा था? उन्होंने कहा कि मेरे दिमाग में एक ही चल रही थी कि थ्रो पर फोकस रखना है। क्योंकि अगर मैं पहले ही संतुष्ट हो जाऊं और किसी ने मुझसे आगे थ्रो कर दिया तो फिर उसको बीट करना मुश्किल हो जाता है। मैंने पूरी कोशिश की। शुरुआती जो दो थ्रो थीं, वो काफी परफेक्ट थीं।
'परिवार की सपोर्ट की वजह से यहां तक पहुंचा हूं'
हरियाणा के पानीपत के रहने वाले नीरज का गोल्ड मेडल तक सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा है। उनके परिवार ने संघर्ष में पूरा साथ दिया। नीरज ने बताया कि उनके और परिवार के लिए मेडल कितना मायना रखता है? उन्होंने कहा कि परिवार की सपोर्ट की वजह से यहां तक पहुंचा हूं। जरूरी नहीं कि पैसों से ही सपोर्ट मिले। परिवार ने मेरे लिए बहुत किया है। उन्होंने कहा कि हम हमेशा तेरे साथ खड़े हैं।