नई दिल्ली : ग्लोबल वॉर्मिंग का प्रभाव पृथ्वी पर लगातार बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी के दोनों छोर उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध के बर्फीले समंदर लगातार इसके कारण पिघल रहे हैं जिसके चलते समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस संबंध में हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। नासा के मुताबिक इस साल आर्कटिक समुद्र का बर्फ इस साल पहले से कम तेज रफ्तार से सिकुड़ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक 1970 के बाद से दूसरी बार आर्कटिक समुद्र का बर्फ कम रिकॉर्ड स्तर से सिकुड़ रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के हवाले से नासा, नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के द्वारा जारी 2020 के सैटेलाइट इमेज में ये दिखाया गया है कि 15 सितंबर तक आर्कटिक समुद्र के बर्फ का क्षेत्रफल घटकर 3.74 मिलियन वर्गफुट रह गया है।
2020 के जलवायु परिवर्तन में इसके लिए साइबेरियन हीट वेव जिम्मेदार है। गर्मियों में आर्कटिक के बर्फ के सिकुड़ने का असर वैश्विक मौसम पर पड़ने की आशंका जताई गई है। इसका असर स्थानीय मौसम में साथ ही समुद्री प्रक्रिया पर भी इसका खासा असर पड़ सकता है।
पिछले दो दशकों में आर्कटिक समुद्र का बर्फ बेहद कम रफ्तार से पिघला है। इसके पहले साल 2012 में भी आर्कटिक का बर्फ कम रफ्तार से पिघला था और अब इस बार ग्लोबल वॉर्मिंग से राहत को लेकर अच्छी खबर सामने आई है।