- नेटवर्क के विस्तार से देश भर में चरणबद्ध तरीके से कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगा
- लोगों को डिजिटाइज बनाने पर भारत सरकार ध्यान दे रही है
- इंटरनेट की लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 100% नेटवर्क कवरेज सुनिश्चित करने की बेहद जरूरत है। तभी पूरे देश का सामाजिक आर्थिक विकास सक्षम होगा
भारतीय दूरसंचार उद्योग 1.8 बिलियन ग्राहक आधार के साथ आज सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी बाजारों में गिना जा रहा है। हालांकि, यह उतना ही अधिक वित्तीय भार भी झेल रहा है। कुल ग्राहकों में से शहरी ग्राहकों की संख्या 160.78 टेली-घनत्व के साथ 675.58 मिलियन है, जबकि ग्रामीण ग्राहकों की संख्या 511.05 मिलियन और यहां का टेली-घनत्व शहरी टेली-घनत्व की तुलना में एक-तिहाई यानी 56.99 है।
इससे पता चलता है कि यह आबादी वर्ग जो अभी भी टेक्नोलॉजी से दूर है, मुख्य धारा के सामाजिक-आर्थिक अवसरों से जोड़ने के लिए सेवाएं देने के काफी अवसर मौजूद हैं। देश में युवाओं का काफी बड़ा वर्ग है और इस वर्ग को कनेक्टिविटी का लाभ पहुंचाते हुए सशक्त करने की बहुत जरूरत है। ऐसा करने से ही समाज को वास्तविक लाभ मिल सकेगा।
भारत सरकार के डिजिटल इंडिया से सपने को साकार करने के लिए, बुनियादी तौर पर टेलीकॉम इकोसिस्टम की तीन परतें नेटवर्क, डिवाइस इकोसिस्टम और आइटी साक्षरता को विकसित करना बहुत जरूरी है।
नेटवर्क विस्तार पर जोर
भारत के हर कोने में मोबिलिटी का लाभ पहुंचाने पर सरकार के फोकस से यह संभव हो पाया है कि 5.54 लाख से अधिक गांवों तक मोबाइल सेवाएं पहुंची है। लेकिन 43,088 गांव अभी भी इस सुविधा से वंचित हैं। नेटवर्क के विस्तार से देश भर में चरणबद्ध तरीके से कनेक्टिविटी प्रदान करना सुनिश्चित किया जा सकेगा।
भारतनेट पहल के साथ समाज से सबसे निचले पायदान के लोगों को डिजिटाइज बनाने पर भारत सरकार द्वारा दिया जा रहा ध्यान बिल्कुल स्पष्ट है। हालांकि, अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है तथा इंटरनेट की लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 100% नेटवर्क कवरेज सुनिश्चित करने की बेहद जरूरत है। तभी पूरे देश का सामाजिक आर्थिक विकास सक्षम होगा।
किफायती डिवाइस इकोसिस्टम
डिजिटल अंतर को कम करने की प्रक्रिया में यह सबसे महत्वपूर्ण स्तर है जिससे आखिरकार ग्रामीण भारत के लिए सामाजिक आर्थिक विकास की राह खुल सकती है। वितरण की मजबूती, बाजार की गहरी पहुंच, ग्राहकों की जरूरतों को समझना और सुदृढ़ सेवा का आश्वासन देना इन ग्राहकों के भरोसे को जीतने का प्रमुख मंत्र है। आज के ग्राहकों की चाहतें स्थानीय रूप से प्रासंगिक और लक्षित पहुंच के साथ ही किफायती कीमतों का आकर्षक प्रस्ताव और दूरदर्शी (फ्यूचरिस्टिक) तकनीक हैं ।
इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में एक प्रकार की मार्केटिंग रणनीति को लागू करने की कोशिश असफलता का कारण बन सकती है। अतः यह महत्वपूर्ण है कि ब्रांड्स निजी जुड़ाव बनाएं और संवाद करने के अवसर लेकर आएं जो बहुत ही आसानी से ग्राहकों की रोजमर्रा की जिंदगी में अनुभवों को एकीकृत करने में मदद करते हों।
यही नहीं, रिटेलर्स, चैनल पार्टनर्स और वितरकों के साथ मजबूत जुड़ाव ग्रामीण बाजारों का लाभ उठाने की प्रमुख कुंजी है क्योंकि इनकी अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ होती है। अन्य महत्वपूर्ण पहलों में फेस्टिव ऑफर्स, स्थानीय भाषा की समझ, कंटेंट, बंडल पैकेजिंग और वारंटी आदि शामिल हैं।
इसी गो-टु-मार्केट दृष्टिकोण के अनुरूप, आइटेल ने टियर 3 से लेकर टियर 6 तक के बाजारों में ग्राहकों के लिए अधिक प्रासंगिक बनने हेतु अपनी खास रणनीति तैयार की है। हमारी यह रणनीति ट्रेंडी टेक्नोलॉजी को सुलभ एवं किफायती बना रही है। इसके अलावा हमें एक लाख से अधिक रिटेलरों के मजबूत वितरण नेटवर्क का समर्थन मिला है।
हमने 5000 रुपए से कम कीमत वाले वर्ग में अपनी लीडरशिप पोजीशन को स्थापित किया है और हम किफायती कीमतों में नेक्स्ट जनरेशन एवं ट्रेंडी टेक्नोलॉजी चाहने वाले गांव की नई पीढ़ी की आकांक्षाओं को पंख देने के लिए तैयार हैं। इससे उनका सामाजिक दर्जा भी बढ़ेगा और उन्हें सशक्त बनाने के लिए हम 6000 रुपए से कम कीमत वाले वर्ग में भी अपनी स्थिति को मजबूत कर रहे हैं।
इन्हीं सब विशेषताओं की बदौलत, आइटेल को ऑफलाइन चैनलों में 5000 रुपए से कम कीमत वाले वर्ग में नंबर वन स्मार्टफोन ब्रांड बनने में सफलता मिली है। फीचर फोन सेगमेंट में भी अपनी लीडरशिप पोजीशन को मजबूत करते हुए आईटेल 2019 की चौथी तिमाही में नंबर-1 फीचर फोन ब्रांड के रूप में उभरा है। (2019 की चौथी तिमाही की काउंटप्वाइंट रिसर्च के आधार पर)
डिजिटल साक्षरता, डिजिटल भारत की कुंजी
इस बाजार वर्ग का एक और सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, आम लोगों को इन नई तकनीकों के साथ सशक्त बनाना। आज की तकनीक की ताकत, महत्व के नए क्षेत्र और इसके द्वारा प्रस्तुत वृद्धि के अवसर वे प्रमुख पहलू हैं जिन पर जागरुकता और शिक्षण अभियान चलाने की आवश्यकता है। इस जिम्मेदारी को स्वीकारने वाले ब्रांड्स अलग से नजर आते हैं और एक विचार-विमर्श का वातावरण बनाते हैं।
इन शक्तिशाली उपकरण की सुविधा और जानकारी से यह कम सेवाप्राप्त आबादी तकनीकी रूप से लैस होकर कनेक्टिविटी के लाभ से समृद्ध हो सकती है और इस तरह समाज के समग्र विकास सूचकांक को आकार देने में सहायक हो सकती है।
भारत के ग्रामीण बाजार में अभी भी भारी अनुपात में अप्रयुक्त संभावनायें मौजूद है। नेटवर्क विस्तार, किफायती डिवाइस तंत्र, कंटेंट स्थानीकरण, कस्टमाइज्ड मार्केटिंग रणनीति और डिजिटल साक्षरता आदि जैसे घटकों पर जोर देना डिजिटल अंतर को कम करने के लिए मुख्य आधार है। आइये, भारत में डिजिटल की ताकत को इसके पूरे वैभव तक पहुंचाएं क्योंकि एक कनेक्टेड आबादी सशक्त समाज को और ताकतवर बना सकती है।