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कोरोना महामारी में काफी काम आया स्मार्टफोन, 2021 में डिमांड बढ़ने की उम्मीद

Updated Dec 24, 2020 | 18:27 IST

समाप्त हो रहा वर्ष 2020 काफी चुनौती भरा रहा। इस दौर में स्मार्टफोन ने लोगों के जीवन को आसान बनाया। उम्मीद है 2021 में इसकी डिमांड बढ़ेगी। 

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स्मार्टफोन (तस्वीर सौजन्य-Pixabay)

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी ने जब लोगों को घरों में रहने पर मजबूर कर दिया तब देश-दुनिया और मित्रों से जुड़े रहने में स्मार्टफोन ही उनका सहारा बना। घर के लिए जरूरी सामान मंगाना हो, बच्चों की स्कूल की पढ़ाई हो या फिर घर पर रहकर दफ्तर का काम करना हो, स्मार्टफोन ने इन सबमें अहम भूमिका निभाई। यहां तक कि घर पर रहकर नए-नए पकवान बनाने का हुनर सिखाने में भी स्मार्टफोन ही काम आया। यही वजह है कि आने वाले नया साल 2021 स्मार्टफोन उद्योग के लिए दहाई अंक की वृद्धि दिलाने के वादे के साथ स्वागत की तैयारी में है। लोग अब कामकाज के नए तरीकों के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। अपने छह इंच के इस स्मार्टफोन पर वह खूबसूरत सेल्फी लेने को आतुर हैं।

समाप्त हो रहे 2020 की यदि बात की जाये तो यह साल शुरू से ही काफी चुनौती भरा रहा। चीन के वुहान में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण स्मार्टफोन उद्योग को कलपुर्जों की आपूर्ति श्रृंखला गड़बड़ाने की स्थिति का सामना करना पड़ा। भारत में फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की पड़ोसी देशों पर आयात निर्भरता को देखते हुए ऐसी आशंका थी कि जरूरी कलपुर्जों और कच्चे माल का स्टॉक समाप्त हो जाएगा।

स्मार्टफोन की काफी तेजी से डिमांड बढ़ी

मार्च के महीने में चिंतायें तब और बढ़ गई जब कोरोना वायरस संक्रमण की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार को पूरे देश में लॉकडाउन लगाना पड़ा। खाना और दवाओं जैसी जरूरी चीजों को छोड़कर अन्य सभी सामान का आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया। हालांकि, जून से जब लॉकडाउन में ढील दी जाने लगी तो स्मार्टफोन उद्योग में काफी तेजी से मांग बढ़ी। ऐसी मांग जिसे पहले कभी नहीं दिखा गया। सितंबर में स्मार्टफोन की बिक्री पांच करोड़ इकाई के सर्वकालिक स्तर पर पहुंच गई। पढ़ाई और अपने कामकाज को जारी रखने के लिये लोग स्मार्टफोन के लिये बाजारों में टूट पड़े जिसकी पूर्ति करना कंपनियों के लिए काफी मशक्कत का काम हो गया।

2021 में भारतीय स्मार्टफोन बाजार में 20% वृद्धि की उम्मीद

काउंटर पॉइंट रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक प्राचीर सिंह ने कहा कि लॉकडाउन में डेढ माह का समय गंवाने के बावजूद वर्ष 2020 में समार्टफोन आपूर्ति एक साल पहले के मुकाबले केवल छह प्रतिशत नीचे रहकर 14.80 करोड़ इकाई रही। यह भारत के स्माटफोन बाजार की मजबूती को दिखाता है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए 2021 में भारत के स्मार्टफोन बाजार में साल दर साल आधार पर 20 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। इसकी वजह आर्थिक गतिविधियां बढ़ने के साथ उपभोक्ता के खर्च में वृद्धि होना और स्मार्टफोन के बड़े ब्रांड की ओर से आक्रामक उत्पाद रणनीति पर आगे बढ़ना है। इसमें गूगल के साथ जियो की कम लागत पर 4जी स्मार्टफोन बाजार में उतारने से गतिविधियां तेज हो सकतीं हैं।

वापसी कर सकती हैं माइक्रोमैक्स

अगले साल माइक्रोमैक्स जैसी घरेलू कंपनियां भी मजबूती के साथ वापसी कर सकती हैं। शाओमी इंडिया के प्रबंध निदेशक मनु जैन ने कहा कि 2020 की पहली छमाही में कई तरह की चुनौतीयां उद्योग के समक्ष रहीं। आपूर्ति की कमी, उत्पादन में रुकावट और समय पर आपूर्ति जैसी चुनौतिया इस दौरान खड़ी हुईं। ‘लॉकडाउन के प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के साथ ही हमने ग्राहकों की मांग को पूरा करना शुरू किया। उत्पादन क्षमता को जल्द बढ़ाया गया, बाजार विपणन रणनीति पर गौर किया और नई परिस्थितियों के अनुरूप काम को आगे बढ़ाया।

महामारी में काफी काम आया स्मार्टफोन 

सैमसंग इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि जब महामारी के कारण ग्राहकों का आना जाना कम हो गया तब कंपनी ने अपने खुदरा भागीदारों के साथ मिलकर डिजिटल प्लेटफार्म के जरिये खुदरा ग्राहकों तक पहुंचने की शुरुआत की। उसने स्मार्टफोन, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर के जरिये आसान और सस्ते समाधान उपलब्ध कराने का भी प्रयास किया। 

स्मार्टफोन कंपनियों में रही टक्कर

शाओमी और नोकिया जैसी कंपनियों ने फ्लिपकार्ट के साथ भागीदारी के जरिये इस साल लैपटॉप के क्षेत्र में प्रवेश किया। इस श्रेणी में वह एचपी, डेल टेक्नोलॉजीज, लेनोवो, एसीईआर और एसस जैसी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में उतरीं। वर्ष 2020 के दौरान सैमसंग और शाओमी को स्मार्टफोन बाजार में आगे निकलने की होड़ में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते देखा गया। इसके बाद विवो, रियलमी और ओप्पो अगले तीन स्थानों पर रहीं। वनप्लस, सैमसंग और एप्पल ने इस दौरान अपने प्रीमियम पोर्टफोलियो के जरिये ग्राहकों को लुभाने का प्रयास किया।

चीन के सामानों का बहिष्कार

वर्ष 2020 के दौरान भारत- चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ने के दौरान ‘चीन के सामान का बहिष्कार, ‘चीनी उत्पाद हटाओ’, जैसे नारे सुनाई दिये। दूसरी तरफ स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिये जाने और ‘मेक इन इंडिया’ तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान ने भी जोर पकड़ा।