- पुणे में IVF टेक्नोलॉजी से पैदा हुआ गाय का बच्चा
- उच्च गुणवत्ता वाले गाय के बच्चे का जन्म
- महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय राहुरी में विज्ञान का चमत्कार
Calf Born Embryo Transplantation: विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब गाय के बछड़े भी IVF टेक्नोलॉजी यानी का भ्रूण प्रत्यारोपण प्रौद्योगिकी इस्तेमाल कर पैदा किए जाने लगे हैं। ऐसा पुणे के महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय राहुरी में हुआ है। यहां देसी गाय अनुसंधान प्रशिक्षण केंद्र में भ्रूण प्रत्यारोपण प्रौद्योगिकी का उपयोग करके गिर नस्ल की कलवाड़ी गाय का जन्म हुआ है। महाराष्ट्र सरकार ने घरेलू गाय अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से विश्वविद्यालय के परिसर और किसान गौशाला में IVF टेक्नोलॉजी का उपयोग करना शुरू कर दिया है।
परियोजना के मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सोमनाथ माने ने बताया कि 150 से अधिक साहीवाल, गिर, राठी, थारपारकर और लाल सिंधी बछड़ों का जन्म IVF टेक्नोलॉजी के जरिए होगा। राहुरी विश्वविद्यालय में इसे एनडीडीबी के माध्यम से लागू किया जा रहा है। उच्च वंशावली के स्वदेशी मवेशियों की संख्या बढ़ाने और उनके संरक्षण में यह तकनीकि बहुत मददगार होगी। बता दें कि देश में वर्तमान समय में शुद्ध घरेलू पशुओं की संख्या घटती जा रही है। इसको देखते हुए उच्च उत्पादन क्षमता वाली गायों की संख्या को तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता है।
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राहुल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रशांत कुमार पाटिल ने बताया कि देश में गायों की कुल संख्या में से 75% गायें गावती रूप में पाई जाती हैं। वहीं सिर्फ 25 प्रतिशत गायें ही शुद्ध नस्ल की होती हैं। इसलिए भविष्य में तेजी से उच्च गुणवत्ता वाली गायों का उत्पादन करने के लिए IVF तकनीक का इस्तेमाल किया जाना जरूरी है। यह समय की मांग है।
क्या है IVF तकनीक?
IVF तकनीक कृत्रिम गर्भधारण करने की प्रकिया है। इसमें कत्रिम रूप से तैयार किये गए भ्रूण को मां के गर्भ में स्थानांतरित करते है। कृत्रिम भ्रूण गाय के अंडो को बैल के वीर्य से प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है। अच्छे आनुवंशिकी वाले बैल के वीर्य के साथ निषेचित करने के बाद निषेचित अंडे को सात दिनों तक बढ़ाकर जो भ्रूण पैदा होता है, उसे निम्न गुणवत्ता वाली गाय में प्रत्यारोपित करने से उच्च गुणवत्ता वाले बछड़ों का जन्म होता है।