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Central Pay Commission ने तय कर रखा है न्यूनतम वेतन, फिर भी 15,000 रुपए से भी कम सैलरी पा रहे ये लोग- रिपोर्ट

Updated Jul 08, 2022 | 16:54 IST

7th Pay Commission Latest News in Hindi: इस रिपोर्ट में सामने आए डेटा से पता चलता है कि ज्यादातर भारतीयों को आज जीवन जीने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
मुख्य बातें
  • कर्मचारी उपस्थिति और ‘पेरोल’ प्रबंधन ऐप सैलरीबॉक्स की है रिपोर्ट
  • ब्लू कॉलर्ड महिलाएं पाती हैं हर माह औसतन 12,398 रुपए तक वेतन
  • वेतन से जुड़ा आंकड़ा पुरुष कर्मचारियों की तुलना में 19 प्रतिशत कम है

7th Pay Commission Latest News in Hindi: भारत में कारखानों, निर्माण और खनन सरीखे क्षेत्रों में काम करने वाले (ब्लू कॉलर्ड) दो-तिहाई से ज्यादा कर्मचारी 15,000 रुपए से कम मासिक वेतन पाते हैं। यह केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की ओर से तय न्यूनतम वेतन से कम है। यह जानकारी बृहस्पतिवार (आठ जुलाई, 2022) को एक रिपोर्ट में दी गई।

ऐसे सेक्टर्स में काम करने वाली महिलाएं हर महीने औसतन 12,398 रुपए तक कमाती हैं। यह पुरुष कर्मियों की तुलना में 19 प्रतिशत कम है। कर्मचारी उपस्थिति और ‘पेरोल’ प्रबंधन ऐप सैलरीबॉक्स की रिपोर्ट में ये बातें बताई गई हैं। 

सैलरीबॉक्स ने यह रिपोर्ट इस मंच का इस्तेमाल करने वाले 11 लाख से अधिक कर्मचारियों के आधार पर तैयार की है। ये कर्मचारी सक्रिय रूप से इस मंच का उपयोग करते हैं। इस बारे में जानकारी जनवरी से जून, 2022 के दौरान जुटाई गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 प्रतिशत से भी कम कामगार 20,000 से 40,000 रुपए तक मासिक वेतन पाते हैं। डेटा से पता चलता है कि ज्यादातर भारतीयों को आज जीवन जीने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दिलचस्प बात है कि ज्यादातर कंपनियां केंद्रीय वेतन आयोग की ओर से तय 18,000 रुपए के न्यूनतम वेतन से कम का भुगतान अपने कर्मचारियों को कर रही हैं। 

सैलरीबॉक्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और सह-संस्थापक निखिल गोयल ने कहा कि बेरोजगारी के आंकड़ों पर सभी की नजर रहती है, लेकिन इस बात पर कोई ध्यान नहीं देता कि किसे कितना वेतन मिल रहा है। कंपनियों को इसकी ओर ध्यान देने की जरूरत है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुल श्रमबल में सिर्फ 27 प्रतिशत महिलाएं हैं।

क्या होता है वेतन आयोग?
वेतन आयोग का गठन साल 1947 में केंद्र सरकार/भारत सरकार की ओर से किया गया था। दरअसल, यह कमीशन कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन से जुड़े ढांचे को लेकर सिफारिशें देता है। आजादी के बाद सातवें वेतन आयोग का गठन किया गया, ताकि नियमित तौर पर केंद्र सरकार के सभी नागरिक और सैन्य विभागों के कर्मचारियों के लिए काम और पगार के ढांचे पर समीक्षा और सिफारिशें की जा सकें। (भाषा इनपुट्स के साथ)