- EPS के तहत विकलांगता पर न्यूनतम पेंशन की गारंटी मिलती है।
- ईपीएफ योगदान की गणना सदस्य की बेसिक सैलरी पर होती है।
- मौजूदा समय में आपके लिए कई पेंशन स्कीम उपलब्ध हैं।
नई दिल्ली। संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए साल 1995 में सोशल सिक्योरिटी स्कीम कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme) शुरू की गई थी। जो कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना के लिए पात्र हैं, वे स्वतः ही कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के लिए क्वालिफाई होते हैं। यह स्कीम रिटायर्ड, विकलांगता, विधवा और बच्चों के लिए मासिक लाभ सुनिश्चित करती है। ईपीएफ के नियमों के अनुसार, नियोक्ता के ईपीएफ योगदान का 8.33 प्रतिशत ईपीएस खाते में जाता है, जबकि मेंबर्स के 12 फीसदी योगदान के साथ नियोक्ता के योगदान का सिर्फ 3.67 फीसदी ही भविष्य निधि खाते में जाता है।
ईपीएस पेंशनभोगी की मृत्यु के मामले में, पेंशन प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की जरूरत होती है:
- पेंशनभोगी का मृत्यु प्रमाण पत्र।
- लाभार्थियों के आधार की कॉपी।
- लाभार्थियों के बैंक अकाउंट की डिटेल (कैंसिल चेक या बैंक पासबुक की अटेस्टेड कॉपी)
- आयु का प्रमाण- सिर्फ बच्चों के मामले में।
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ईपीएस लाभ प्राप्त करने की पात्रता (EPS Scheme Eligibility)
- आपको ईपीएफओ का सदस्य होना चाहिए।
- जल्दी पेंशन के लिए आपकी आयु 50 वर्ष और नियमित पेंशन के लिए 58 वर्ष होनी चाहिए।
- अगर आप पेंशन को 2 वर्ष के लिए स्थगित करते हैं (जब तक आप 60 वर्ष की आयु तक नहीं पहुंच जाते), तो आप प्रति वर्ष 4 फीसदी की ब्याज दर पर पेंशन प्राप्त करने के पात्र होंगे।
- आपने कम से कम 10 साल की सेवा पूरी कर ली हो।
योजना के तहत अनाथों को मिलते हैं ये लाभ
- पेंशन राशि मासिक विधवा पेंशन का 75 फीसदी होती है, जिसमें एक बार में दो अनाथों में से प्रत्येक के लिए न्यूनतम 750 रुपये प्रति माह है।
- 25 साल की आयु तक पेंशन का भुगतान किया जाता है।
- अगर कोई विकलांग है, तो पेंशन का भुगतान आजीवन किया जाता है।
विधवा को मिलते हैं ये लाभ
अगर सर्विस के दौरान सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो विधवा को पेंशन का लाभ मिलता है। वह 1,000 रुपये मासिक पेंशन की हकदार होती है। वहीं पेंशनभोगी की मृत्यु के मामले में, उसकी विधवा को पेंशन का 50 फीसदी हिस्सा मिलता है।