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राजभाषा सम्मेलन में बोले गृह मंत्री अमित शाह -वाराणसी भाषाओं का गोमुख, काशी में हुआ हिंदी का जन्म

Amit Shah attends Akhil Bhartiya Rajbhasha Sammelan, says- Varanasi is the gomukh of languages
Updated Nov 13, 2021 | 14:03 IST

Rajbhasha Sammelan: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वाराणसी में आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का उद्धघाटन किया। इस मौके पर उन्होंने बताया कि आज गृहमंत्रालय में हर काम राजभाषा में होता है।

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Amit Shah attends Akhil Bhartiya Rajbhasha Sammelan, says- Varanasi is the gomukh of languagesAmit Shah attends Akhil Bhartiya Rajbhasha Sammelan, says- Varanasi is the gomukh of languages
तस्वीर साभार:&nbspTwitter
वाराणसी भाषाओं का गोमुख है, काशी में हुआ हिंदी का जन्म: शाह
मुख्य बातें
  • वाराणसी में गृहमंत्री अमित शाह ने किया राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन
  • शाह बोले- जो देश अपनी भाषा खो देता है, वो देश अपनी सभ्यता, संस्कृति को भी खो देता है
  • अमित शाह बोले- अपनी भाषा के उपयोग में कभी भी शर्म मत कीजिए, ये गौरव का विषय है

वाराणसी: वाराणसी के दीन दयाल हस्तकला संकुल में राजभाषा विभाग द्वारा अखिल भारतीय राजभाषा सम्‍मेलन ( Rajbhasha Sammelan) का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन के उद्धाटन अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वाराणसी को भाषाओं का गोमुख बताया और कहा, 'अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को राजधानी दिल्ली से बाहर करने का निर्णय हमने वर्ष 2019 में ही कर लिया था। दो वर्ष कोरोना काल की वजह से हम नहीं कर पाएं, परन्तु आज मुझे आनंद है कि ये नई शुभ शुरुआत आजादी के अमृत महोत्सव में होने जा रही है।'

हिंदी और स्थानीय भाषाओं में कोई अंतर्विरोध नहीं

इस दौरान पीएम मोदी का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा, 'मोदी जी ने कहा है कि अमृत महोत्सव, देश को आजादी दिलाने वाले लोगों की स्मृति को पुनः जीवंत करके युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए तो है ही, ये हमारे लिए संकल्प का भी वर्ष है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत में देश के सभी लोगों का आह्वान करना चाहता हूं कि स्वभाषा के लिए हमारा एक लक्ष्य जो छूट गया था, हम उसका स्मरण करें और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतरविरोध नहीं है।'

गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने गौरव के साथ हमारी भाषाओं को दुनिया भर में प्रतिस्थापित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पहले हिंदी भाषा के लिए बहुत सारे विवाद खड़े करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वो वक्त अब समाप्त हो गया है। गृह मंत्री ने कहा, 'जो देश अपनी भाषा खो देता है, वो देश अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है। जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं वो दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते हैं।'

गृहमंत्रालय में हिंदी में ही होता है काम

हिंदी भाषा का जिक्र करते हुए गृहमंत्री ने कहा, 'दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली लिपिबद्ध भाषाएं भारत में हैं। उन्हें हमें आगे बढ़ाना है। भाषा जितनी सशक्त और समृद्ध होगी, उतनी ही संस्कृति व सभ्यता विस्तृत और सशक्त होगी। अपनी भाषा से लगाव और अपनी भाषा के उपयोग में कभी भी शर्म मत कीजिए, ये गौरव का विषय है। मैं गौरव के साथ कहना चाहता हूं कि आज गृह मंत्रालय में अब एक भी फाइल ऐसी नहीं है, जो अंग्रेजी में लिखी जाती या पढ़ी जाती है, पूर्णतय: हमने राजभाषा को स्वीकार किया है। बहुत सारे विभाग भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।'

प्रशासन की स्वभाषा हो राजभाषा

गृह मंत्री ने कहा, 'देश की नई शिक्षा नीति का एक प्रमुख बिंदू है, भाषाओं का संरक्षण व संवर्धन और राजभाषा का भी संरक्षण व संवर्धन। नई शिक्षा नीति में राजभाषा और मातृभाषा पर बल दिया गया है। प्रधानमंत्री जी ने ये जो नया परिवर्तन किया है, वो भारत के भविष्य को परिवर्तित करने वाला होगा। जब तक देश के प्रशासन की भाषा, स्वभाषा नहीं होगी, तब तक लोकतंत्र सफल हो ही नहीं सकता। लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब प्रशासन की भाषा, स्वभाषा हो, राजभाषा हो।' 

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