- आज अमित शाह करेंगे यूपी के आजमगढ़ का दौरा
- इस दौरान राज्य राज्य विश्वविद्यालय का शिलान्यास कर जनसभा को करेंगे संबोधित
- अखिलेश यादव के संसदीय इलाके आजमगढ़ को माना जाता है सपा का गढ़
लखनऊ: गृह मंत्री अमित शाह आज अपने यूपी दौरे के दूसरे दिन की शुरूआत करेंगे। सबसे पहले वह वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल भवन में सुबह सवा दस बजे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन की शुरुआत करेंगे और दोपहर एक बजे आजमगढ़ जिले के अशपालपुर, आजम बांध में राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ का शिलान्यास करेंगे। इसके बाद शाह बस्ती जिले के शिव हर्ष किसान स्नातकोत्तर कॉलेज, बस्ती में सांसद खेल महाकुंभ का शुभारंभ करेंगे और एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे।
आजमगढ़ है अहम
दो लोकसभा, 10 विधानसभा क्षेत्र, 8 तहसीलें और 22 ब्लॉक। आजमगढ़ (Azamgarh) का यह भूगोल उसे बड़े जनपद का तमगा देता है लेकिन चार दशक तक उसके इतिहास के पन्नों में आतंक और बीमारू शब्दों की यथार्थ बारंबारता रही। अस्सी के दशक से वह जिला माफियागिरी और टेरर कनेक्शन के नाम पर बदनाम हो गया। निवेश और विकास की बात तो दूर, यहां स्थापित कारोबारी ही पलायित होने लगे। बीते साढ़े चार सालों से आजमगढ़ माफिया की बजाय विकास का गढ़ बनने की राह पर सरपट आगे बढ़ा है। सपा का गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ जिले को योगी राज्य विश्वविद्यालय की सौगात देने जा रहे हैं। आज इसका शिलान्यास केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे। अखिलेश यादव के गढ़ में शनिवार को शाह और योगी की गर्जना विकास की दास्तान सुनाने वाली होगी।
जनसभा को भी संबोधित करेंगे शाह
मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने के साथ ही जब जनसभा को संबोधित करेंगे तो सिलसिलेवार साढ़े चार सालों में आजमगढ़ के विकास की कहानी भी सुनाएंगे। एक बात तो साफ हो गई है कि आने वाले दिनों में आजमगढ़ की नई पहचान उच्च शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में हो सकेगी। जबकि बीते चार दशकों में कभी हाजी मस्तान तो कभी दाऊद इब्राहिम,अबू सलेम, अबू बकर जैसे माफिया डॉन ही और कई बार बम ब्लास्ट के टेरर कनेक्शन जिले की बदनाम पहचान बन गए थे। साढ़े चार सालों में प्रदेश की कानून व्यवस्था का ऐसा बोलबाला हुआ है कि आजमगढ़ कभी माफिया पनाह मांगने लगे हैं।
आजमगढ़ में चल रही हैं कई विकास योजनाएं
आजमगढ़ की जनता ने समाजवादी पार्टी को सिर आंखों पर बैठाया लेकिन जनता को उसके नेताओं ने वोट बैंक तक ही सीमित रखा। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां के लोगों ने मुलायम सिंह यादव को अपना रहनुमा बनाया तो 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव को। इसके बावजूद आजमगढ़ के माथे पर बीमारू का कलंक चस्पा रहा। रहनुमा बनकर सपा नेता आजमगढ़ की जनता को ही भूल बैठे। राजनीतिक विरोधियों का क्षेत्र भले रहा लेकिन सीएम योगी ने जनता को विकास परियोजनाओं का उपहार देने में कभी भेदभाव नहीं किया। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के माध्यम से आजमगढ़ के विकास के एक नई तस्वीर उभरने वाली है। इन दोनों एक्सप्रेसवे के जरिए आजमगढ़ प्रमुख कारोबारी और औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित होगा। इससे बड़े पैमाने पर स्थानीय रोजगार सृजित होगा। मुंबई और खाड़ी देशों को होने वाला युवाओं का पलायन भी रुकेगा।
जल्द ही मिलेगी एयर कनेक्टिविटी
यही नहीं सीएम योगी के नियमित पर्यवेक्षण में यहां एयरपोर्ट भी बनकर तैयार है और जल्द ही आजमगढ़ और आसपास के लोगों को बड़े शहरों के लिए सीधी एयर कनेक्टिविटी हो जाएगी। इतना ही नहीं आजमगढ़ के पारंपरिक कुटीर शिल्प ब्लैक पॉटरी को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान योगी सरकार ने ही दिलाई है। यह कुटीर उद्योग प्रोत्साहन के अभाव में दम तोड़ रहा था। सरकार ने इसे आजमगढ़ की ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में शामिल किया। ओडीओपी में शामिल होते की इस कुटीर उद्योग से जुड़े उद्यमियों के दिन बहुर गए हैं। इस कुटीर उद्योग की धमक और वैश्विक मंच पर भी होने लगी है।