- गलवान में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद
- इस खबर के बाद देश के लोगों का गुस्सा चीन के खिलाफ फूट पड़ा है
- वाराणसी, पटना से लेकर देश के कई हिस्सों में चीन के झंडे और चीनी राष्ट्रपति के पुतले जलाए गए
नई दिल्ली: गलवान में चीन की सेना के साथ हुए हिंसक झड़प में 20 जवानों के शहीद होने की खबर ने देश को झकझोर दिया है, इस खबर के बाद से देश में गुस्से और गम की लहर है, चीन की इस नापाक हरकर पर देश में गुस्सा है देश के हर कोने से सिर्फ एक ही आवाज आ रही कि अब बहुत हो चुका। भारत सरकार को इस बारे में अब कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है वहीं वाराणसी सहित देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन किया गया।
देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों का गुस्सा फट पड़ा और हर कोई चीन पर अपना गुस्सा निकालने लगा गौरतलब है कि कोरोना संकट को लेकर भी अधिकतर लोग चीन को ही जिम्मेदार मानते हैं ऐसे में अब इस नापाक हरकत से लोगों का गुस्सा और भड़क गया है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी इसका विरोध किया जा रहा है, वाराणसी के लोगों ने एक NGO (विशाल भारत संस्थान) के बैनर तले चीन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया।
वहीं पटना के लोगों ने चीन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करते हुए चीन के झंडे और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पुतले जलाए गए, गुजरात में भी चीन का विरोध दिखाई दिया यहां लोगों ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला जलाए गए और लोगों ने चीन के उपर अपना गुस्सा निकाला।
गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 सैनिक शहीद
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में सोमवार रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए । पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया है।
सेना ने शुरू में मंगलवार को कहा कि एक अधिकारी और दो सैनिक शहीद हुए लेकिन, देर शाम बयान में कहा गया कि 17 अन्य सैनिक 'जो अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में गतिरोध के स्थान पर ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्होंने दम तोड़ दिया है। इससे शहीद हुए सैनिकों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है।'
सरकारी सूत्रों ने कहा है कि चीनी पक्ष के सैनिक भी 'उसी अनुपात में' हताहत हुए हैं। वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे। इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त हुआ है जब सरकार का ध्यान कोविड-19 संकट से निपटने पर लगा हुआ है।