- अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान और तालिबान को चेताया है
- उन्होंने दुनिया के देशों से अपील की कि वे कानून के शासन का सम्मान करें, न कि हिंसा का
- अशरफ गनी के देश से जाने के बाद उन्होंने खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया था
काबुल : अफगानिस्तान में राजधानी काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन पर तालिबान के कब्जे और राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर जाने के बाद अमरुल्लाह सालेह ने गुरुवार को तालिबान के साथ-साथ पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को भी आगाह किया। उन्होंने दुनिया के नेताओं से भी अपील की कि वे कानून के शासन का सम्मान करें, न कि हिंसा का। तालिबान के खिलाफ देश की तमाम राजनीतिक ताकतों को एकजुट करने की कवायद में जुटे अमरुल्लाह ने वैश्विक नेताओं से अपील की कि वे चरमंथियों के सामने नहीं झुकें।
अमरुल्लाह ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, 'पाकिस्तान के निगलने के लिए अफगानिस्तान बहुत बड़ा देश है, तालिबान के यहां शासन के लिहाज से भी यह बहुत बड़ा देश है।' एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, 'विभिन्न देशों को कानून के शासन का सम्मान करना चाहिए, न कि हिंसा का। अपने इतिहास में ऐसा अध्याय न होने दें, जो भविष्य में आपको बताए कि आपने किस तरह तालिबान चरमपंथियों के आगे घुटने टेक दिए।'
सालेह का ऐलान
सालेह, जो फरवरी 2020 से अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति थे, ने मंगलवार को घोषणा की थी कि राष्ट्रपति गनी के भाग जाने के बाद अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार वह अब देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं। उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफे या मृत्यु की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति होता है। इस समय मैं अपने देश में हूं और वैध कार्यवाहक राष्ट्रपति हूं।'
उन्होंने यह भी कहा कि अफगान नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसे सुनिश्चित करने तथा इसे लेकर आम सहमति बनाने के उद्देश्य से सभी नेताओं से संपर्क किया जा रहा है। यह ट्वीट उनहोंने काबुल पर तालिबान के कब्जे के दो दिन बाद किया था। एक दिन पहले के ट्वीट में पाकिस्तान को चेताते हुए उन्होंने कहा था, 'अपनी धरती पर, अपने लोगों के साथ, एक कारण और उद्देश्य के लिए, सही कदम में दृढ़ विश्वास के साथ। पाकिस्तान समर्थित दमन और क्रूर तानाशाही का विरोध करना हमारी वैधता है।' सालेह ने इस सप्ताह यह भी कहा था कि अपने देश की रक्षा के लिए अब अमेरिकी राष्ट्रपति से बहस करना बेकार है।