- ड्रैगन की आक्रामकता के जवाब में बन रहा है वैश्विक स्तर पर गठबंधन
- अमेरिका सहित चार देश एक साथ आए, भारत निभाएगा अहम भूमिका!
- अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से की थी बात
नई दिल्ली/वाशिंगटन: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर नई दिल्ली और बीजिंग के बीच चल रही तनातनी खत्म नहीं हुई है। इस बीच अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के बीच चार देशों का गठजोड़ (क्वाड) चीनी विस्तारवाद की प्रतिक्रिया में आकार ले रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के लिए एक बड़ी भूमिका की परिकल्पना करते हुए, जहां बीजिंग दक्षिण चीन सागर पर अपने आपको मजबूत कर रहा है, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बात की।
जयशंकर और पोम्पियो के बीच बात
विदेश विभाग द्वारा जारी एक बयान में, मुख्य उप प्रवक्ता केल ब्राउन ने कहा कि पोम्पिओ और जयशंकर ने अंतर्राष्ट्रीय चिंता के मुद्दों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग पर चर्चा की। ब्राउन ने कहा, दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों में निकट सहयोग जारी रखने एवं इस वर्ष के अंत में अमेरिका-भारत टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता और चतुष्पक्षीय वार्ता को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।
क्वाड पर जोर
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि हालांकि अमेरिका और भारत के बीच हालिया बातचीत कई मुद्दों को लेकर हुई है, लेकिन जोर अब चतुष्पक्षीय (क्वाड) पर है। सूत्रों ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि वह अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को एक दिशा में लेकर जाएगा और चतुष्पक्षीय सदस्यों के साथ आर्थिक साझेदारी करेगा। भारत में व्यापक रूप से लोकप्रिय टिकटॉक एप सहित 100 से अधिक चीनी इंटरनेट आधारित एप्स पर प्रतिबंध की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया गया है।
चीनी प्रतिक्रिया का रूप
सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टिकटॉक और वीचैट पर गुरुवार को घोषित प्रतिबंध, क्वाड को औपचारिक रूप से तेजी से आगे बढ़ाने वाले हैं। प्रमुख अमेरिकी तकनीकी कंपनियां भी भारत में उस प्रयास को बढ़ाने के लिए पहुंच रही हैं। चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद के रूप में भी जाना जाता है, जिसे पहली बार 2007 में चार सदस्यों के बीच शुरू किया गया था, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को नियंत्रित करने के लिए बढ़ रही चीनी सैन्य शक्ति की प्रतिक्रिया के रूप में जाना जाता है।
2017 में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान, इस गठजोड़ के सभी चार सदस्यों ने नई सरकारों के साथ दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रैवये से निपटने के लिए मंच को पुनर्जीवित किया। तब से इन चारों देशों का गठजोड़ कई बार स्वतंत्र और खुले हिंद प्रशांत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मिल चुका है, जो सभी आसियान देशों के लिए आर्थिक जीवन रेखा के रूप में माना जाता है।