- केन्या का सार्वजनिक कर्ज 73 अरब डॉलर पहुंच चुका है। जबकि उसकी जीडीपी केवल 100 अरब डॉलर की है।
- बंग्लादेश के वित्त मंत्री ने कहा है कि दुनियाभर में बीआरआई की वजह से महंगाई बढ़ रही है और विकास दर धीमी हो रही है।
- सोलोमन आइलैंड ने चीन के दबाव में अमेरिकी जहाजों के तेल नहीं भरने दिया।
China BRI And Debt ridden Countries: बीते अगस्त में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2 ऐसी घटनाए हुई हैं, जिससे साफ संकेत मिलता है कि चीन के मकड़जाल में कैसे छोटे और गरीब देश फंसते जा रहे हैं। पहले तो बात सोलोमन आइलैंड की, जिसने प्रशांत महासागर में नियमित गश्त के दौरान अमेरिकी कोस्ट गार्ड के एक जहाज को रिफ्यूलिंग की इजाजत नहीं दी। दूसरी घटना चीन और नेपाल के बीच रेलवे लाइन के लिए हुए समझौता है। जिसमें चीन, दोनों देश के बीच रेलवे ट्रैक बिछाने के लिए अपने विशेषज्ञों को सर्वे के लिए नेपाल भेजेगा। साथ ही वह फीजबिलिटी स्टडी को भी फाइनेंस करेगा। सोलोमन आइलैंड और नेपाल चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं। ऐसे में सोलोमन आइलैंड की हरकत से साफ है कि वह अब चीन के दबाव में काम कर रहा है।
अमेरिका ने क्या कहा
ड्यूशे एंड वैले की रिपोर्ट के अनुसार जब अमेरिका के जहाज ने रिफ्यूलिंग के लिए सोलोमन आइलैंड के अधिकारियों से जवाब मांगा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। जबकि मेरिकी कोस्ट गार्ड के जहाज ऑलिवर हैनरी को रूटीन के तहत सोलोमन आइलैंड्स जाना था। रिपोर्ट के अनुसार ऐसी आशंकाएं हैं कि चीन सोलोमन आइलैंड्स में मिलिट्री बेस बना रहा है। हालांकि दोनों देशों ने इन रिपोर्टों को खारिज किया है। लेकिन लीक हुए एक दस्तावेज के मुताबिक दोनों देशों के बीच एक सुरक्षा समझौता हुआ है। इसके तहत सोलोमन आइलैंड चीनी नौसेना के जहाजों को अपने बंदरगाहों में रुकने की अनुमति दे चुका है। साथ ही इस समझौते में यह भी है कि जरूरत पड़ने पर चीन वहां पर पुलिस और सैन्य बल भी भेज सकता है। इसके पहले सोलोमन आइलैंड ने चीन को खुश करने के लिए साल 2019 में ताइवान से अपने राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे।
BRI से कर्ज के जाल में फंस रहे हैं देश
चीन का बीआरआई प्रोजेक्ट कैसे कई देशों को कर्ज के जंजाल में फंसा रहा है। यह सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशन स्टडीज कि रिपोर्ट खुलासा करती है। उसके अनुसार साल 2021 तक चीन करीब 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर चुका है। इसके तहत 8 देश ऐसे थे जिनमें कर्ज खतरानक स्तर पर पहुंच चुका है। इसमें डिजीबोटी, किर्गिजस्तान,लाओस, मालदीव, मंगोलिया,मोंटेनग्रो,पाकिस्तान और तजाकिस्तान पर भारी कर्ज हो चुका है। इन देशों का कर्ज जीडीपी अनुपात रेश्यो 50 फीसदी को पार कर चुका है। जिसमें से करीब 40 फीसदी कर्ज चीन का है। इन कंपनियों को BRI के तहत चीन का कर्ज चुकाने के लिए IMF से लोन लेना पड़ेगा। इसी वजह से श्रीलंका और पाकिस्तान दोनों ही अपनी बिखर चुकी अर्थव्यवस्था को चुकाने के लिए आईएमएफ से कर्ज ले रहे हैं।
केन्या के लिए सफेद हाथी बना ट्रेन प्रोजेक्ट
न्यूयॉर्क टाइम्स की 7 अगस्त की रिपोर्ट के अनुसार बीआरआई प्रोजेक्ट के जरिए चीन ने केन्या में रेल निर्माण किया था। और इस प्रोजेक्ट के जरिए केन्या की सरकार को उम्मीद थी कि इसके जरिए केन्या में बड़ा बदलाव आएगा और वह औद्योगिक और मिडिल इनकम वाला देश बनेगा। इस प्रोजेक्ट को बनाने में करीब 4.7 अरब डॉलर खर्च हुए है। लेकिन 5 साल बाद यही प्रोजेक्ट अब केन्या के लिए सफेद हाथी बन चुका है। रिपोर्ट के अनुसार उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं आने, प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार और दूसरी वजहों से केन्या का सार्वजनिक कर्ज 73 अरब डॉलर पहुंच चुका है। जबकि उसकी जीडीपी केवल 100 अरब डॉलर की है। यानी केन्या के सामने कर्ज चुकाने का बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
अब केन्या की तरह नेपाल भी रेल लाइन के लिए चीन के कर्ज पर भरोसा कर रहा है। ऐसे में नेपाल मे रेल लाइन निर्माण के महंगे खर्च को देखते हुए आने वाले समय उसके लिए कर्ज के कुचक्र में फंसने की पूरी आशंका है।
चीन के बढ़ते शिकंजे का ही असर है कि बांग्लादेश के वित्त मंत्री ने फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि दुनियाभर में बीआरआई की वजह से महंगाई बढ़ रही है और विकास दर धीमी हो रही है। उन्होंने कहा कि चीन को अपने लोन की समीक्षा करनी चाहिए। कर्ज देने के खराब फैसलों के कारण कई देशों को कर्ज संकट से गुजरना पड़ रहा है।
क्या है BRI परियोजना
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार BRI चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका लक्ष्य चीन को सड़क, रेल एवं जलमार्गों के माध्यम से यूरोप, अफ्रीका और एशिया से जोड़ना है। चीन की इस परियोजना की परिकल्पना साल 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की थी। साल 2016 से इस परियोजना को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के नाम से जाना जाता है। BRI एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका के बीच भूमि और समुद्र क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए चीन द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं का एक समूह है। पश्चिमी देशों का आरोप है कि BRI के जरिए अपनी विस्तारवादी नीतियों को बढ़ावा दे रहा है। और छोटे देशों के कर्ज के जाल में फँसा रहा है। हालांकि, चीन इस बात से इंकार करता रहा है।