The Great Wall of China: 'द ग्रेट वाल ऑफ चाइना' दुनियाभर में आज एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर है। चीन में यह एक ऐसी जगह के रूप में ख्यात है, जहां चीन का दौरा करने वाले वैश्विक नेता भी पहुंचते रहे हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, रिचर्ड निक्सन के साथ-साथ ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ द्वितीय और जापान के सम्राट अकिहितो सहित दुनियाभर के करीब 400 नेता चीन की इस 'महान दीवार' को देखने पहुंच चुके हैं। यह दुनिया के सात अजूबों में गिनी जाती है, जो UNESCO की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है।
'द ग्रेट वाल ऑफ चाइना' को लेकर कई तथ्य हैं, जिसके बारे में जानकर लोग आज भी हैरान होते हैं। चीन की यह महान दीवार आज भले ही प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर है, पर वर्षों पहले इसकी अहमियत सामरिक व रणनीतिक रूप में कहीं अधिक थी। चीन की इस दीवार को स्थानीय शासकों ने कभी आक्रमणकारियों से बचाव के लिए बनाया था, जिसका निर्माण किसी एक कालखंड में नहीं, बल्कि कई शासकों ने अलग-अलग कालखंडों में हमलवारों से बचाव के लिए किया था। इनका निर्माण मुख्य रूप से तीर व तलवारों के हमलों से बचाव के लिए किया गया था।
...जब चंगेज खां ने तोड़ दी थी दीवार
तकरीबन 6400 किलोमीटर लंबी चीन की यह दीवार दुनिया में सबसे बड़ी इंसानी संरचना है, जिसे आम पर्यटकों के लिए 1970 में खोला गया था, जबकि UNESCO की विश्व धरोहर सूची में इसे 1987 में शामिल किया गया था। यह अंतरिक्ष से भी नजर आती है। आक्रमणकारियों से बचाव के लिए इस लंबी दीवार का निर्माण कार्य आठवीं शताब्दी ईसापूर्व में शुरू किया गया था, जिसके बाद कई शासकों ने अलग-अलग हिस्सों में दीवार को और विस्तार दिया और इन्हें आपस में जोड़ने का काम भी किया। हालांकि अब भी यह दीवार कई जगह जुड़ी नहीं है और उन स्थानों को भी अगर मिला दिया जाए तो इसकी लंबाई तकरीबन 8848 किलोमीटर हो जाती है। बताया जाता है कि इसके संपूर्ण निर्माण में तकरीबन 2000 साल का वक्त लगा।
चीन के शासकों ने इस दीवार का निर्माण मिट्टी और कंकड़ को सांचे में दबा कर बनाई गई ईंटों से किया था, जबकि पत्थरों को जोड़ने के लिए चावल के आटे का इस्तेमाल किया गया था। दूर से आते शत्रुओं पर नजर रखने के लिए इसमें कई जगह मीनारें भी बनवाई गई थीं। कई जगह इस दीवार की ऊंचाई 9 फुट है तो कहीं यह 35 फुट भी ऊंची है। इसकी चौड़ाई इतनी रखी गई कि 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक एक साथ गश्त कर सकें। चीन के शासकों ने बाहरी हमलावरों से रक्षा के लिए अभेद्य किले की तरह इसका निर्माण किया था, लेकिन 1211 में चंगेज खां की अगुवाई में मंगोलों के आक्रमण के दौरान यह अजेय नहीं रह गई। चंगेज खां ने इसे तोड़ा और लाखों सैनिकों के साथ चीन पर हमला कर दिया था।
महान दीवार या दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान!
चीन की इस 'महान दीवार' से जुड़े कई रहस्य भी हैं, जो इसके निर्माण कार्य के दौरान मजदूरों के प्रति शासकों की क्रूरता को बयां करते हैं। कहा जाता है कि इसके निर्माण के दौरान करीब 10 लाख लोगों ने जान गंवाई। यहां जो मजदूर भी कड़ी मेहनत नहीं करते थे, उन्हें इसी दीवार में दफना दिया जाता था। ऐसा करके तत्कालीन शासन अन्य मजदूरों में भी खौफ पैदा करता था। कहा यह भी जाता है कि इसके निर्माण में शामिल मजदूरों से अथक श्रम कराया जाता था। वे तब तक काम करते थे, जब तक कि थकान और शारीरिक अक्षमता की वजह से उनकी जान नहीं चली जाती थी। इसके बाद उन्हें वहीं दफन कर दिया था। बड़ी संख्या में यहां श्रमिकों की मौत के कारण ही इसे 'दुनिया सबसे बड़ा कब्रिस्तान' भी कहा जाता है।