वाशिंगटन : चीन एक तरफ भारत के साथ सीमा विवाद पर उलझा हुआ है तो दक्षिण चीन सागर में भी तेजी से पांव पसार रहा है। वहीं, ताइवान को भी चीन आंखें दिखा रहा है। चीन पर अफ्रीका और एशिया के कई छोटे व विकासशील देशों को विकास परियोजनाओं के लिए फंडिंग के नाम पर कर्ज के जाल में फंसाने का आरोप भी लगता रहा है। इन सबके बीच अमेरिका के एक सांसद ने भी चीन के इरादों को लेकर चेताया है और कहा कि चीन कई तरह से दुनिया के लिए चिंता पैदा कर रहा है।
रिपब्लिकन पार्टी से सांसद जॉन कॉर्निन ने मंगलवार को अमेरिकी सीनेट में कहा, चीन भारत के साथ 'सीमा युद्ध' में उलझा हुआ है। अंतराष्ट्रीय जल-क्षेत्र में उसकी गतिविधियां अन्य देशों के लिए चिंता पैदा कर रही है। वह अपने पड़ोसियों के लिए भी गंभीर खतरा पेश कर रहा है। ताइवान को लेकर उसने आक्रामक तेवर अपना रखे हैं। हाल की उसकी कई गतिविधियां ऐसी रहीं, जो ताइवान की संप्रभुता का उल्लंघन करती हैं। ये कुछ तात्कालिक चिंताएं हैं, जो चीन दुनिया के समक्ष पैदा कर रहा है।
भारत दौरे का दिया हवाला
भारतीय उपमहाद्वीप की चिंताओं पर प्रकाश डालते हुए कॉर्निन ने कहा, 'सबसे गंभीर खतरा उन देशों के लिए है, जिनकी सीमा चीन से लगती है।' भारत और दक्षिण पूर्व एशिया की अपनी यात्रा का ब्योरा साझा करते हुए अमेरिकी सांसद ने कहा, 'क्षेत्र में खतरों और चुनौतियों के बारे में सही से समझने के लिए पिछले सप्ताह मुझे कांग्रेस के एक प्रतिनिधि दल की दक्षिणपूर्व एशिया की यात्रा की अगुवाई करने का मौका मिला।'
कॉर्निन ने कहा कि उन्होंने इस दौरान भारत का भी दौरा किया, 'चीन की ओर से पेश खतरों तथा अन्य साझा प्राथमिकताओं पर बातचीत करने के लिए प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी और मंत्रिमंडल के अधिकारियों से मुलाकात की।' रिपब्लिकन सांसद ने कहा कि इस यात्रा के दौरान चर्चा का एक अहम मुद्दा ताइवान पर चीन के हमले की आशंका से जुड़ा था। उन्होंने चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के साथ 'ज्यादती' का मसला भी उठाया और कहा कि बीजिंग 'मानवाधिकारों के उल्लंघन' का दोषी है।
जिनपिंग-बाइडेन की वर्चुअल मीट
अमेरिकी सांसद का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि तमाम मसलों पर मतभेद के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सोमवार को एक वर्चुअल बैठक हुई है, जिसमें दोनों नेताओं ने साझा महत्व के मुद्दों, आपसी संबंधों सहित रणनीतिक मुद्दों पर बातचीत की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जबकि अमेरिका और चीन के बीच कई मुद्दों पर गंभीर मतभेद हैं और कारोबार, सैन्य आक्रामकता एवं मानवाधिकारों को लेकर अमेरिका, चीन पर हमला बोलता आया है।