बीजिंग/वाशिंगटन : चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के साथ किस तरह की ज्यादती होती है, वह अब कोई छिपी बात नहीं रह गई है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भी इसकी तस्दीक की गई है कि चीन के मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत में लगभग 10 लाख से ज्यादा उइगर मुसलमानों को डिटेंशन कैंपों में कैद करके रखा गया है। मानवाधिकार संगठन यहां चीन द्वारा 'जनसंहार' का आरोप लगाते रहे हैं तो अब हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री की हैसियत से माइक पॉम्पिओ ने भी चीन पर यह गंभीर आरोप लगाया।
जो बाइडन के शपथ लेने से एक दिन पहले पॉम्पिओ ने कहा, 'उपलब्ध तथ्यों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण के अधीन पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने शिनजियांग में अल्पसंख्यकों और मुस्लिम उइगरों का जनसंहार किया है।' जो बाइडन की अगुवाई में नई सरकार के सत्ता संभालने से ठीक पहले विदेश मंत्री की हैसियत से दिए गए पॉम्पिओ के इस बयान ने एक बार फिर चीन द्वारा शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के साथ हो रही ज्यादती की ओर ध्यान दिलाया तो यह सवाल भी खड़ा किया कि दुनियाभर में खुद को मुस्लिम हितों का पैरोकार बताने वाले देशों में भी इस पर कोई उबाल क्यों होता?
चुप क्यों हैं इस्लामिक जगत के देश?
पाकिस्तान जो भारत के हर आंतरिक मसले पर टिप्पणी करने से नहीं चूकता, वह भी इस मामले में आखिर खामोश क्यों है? खुद को इस्लामिक जगत का अगुवा बताने वाला सऊदी अरब भी इस मामले में चुप है तो तुर्की भी इस मामले में खामोश रहना ही बेहतर समझता है। कश्मीर सहित भारत से संबंधित कई मुद्दों पर पाकिस्तान का साथ देने वाले मलेशिया ने भी चीन में उइगर मुसलमानों के साथ होने वाली ज्यादती के खिलाफ आवाज नहीं उठाई। इस मामले में ईरान का रुख भी इन देशों से अलग नहीं है। आखिर खुद को इस्लामिक हितों के पैरोकोर कहने वाले इन देशों का रवैया शिनजियांग को लेकर इतना अलग क्यों है?
इसकी सबसे बड़ी वजह चीन का बढ़ता आर्थिक साम्राज्य और इस्लामिक जगत के देशों के साथ उसके कारोबारी रिश्ते हैं। पाकिस्तान सहित दुनिया में इस्लामिक जगत के कई देश हैं, जिन्हें चीन से बड़ी आर्थिक मदद की दरकार है। मलेशिया से उसके कारोबारी रिश्ते भी कुछ इसी तरह के हैं, जहां चीन ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है। जाहिर तौर पर इसने मलेशिया को आर्थिक तरक्की में बड़ी मदद पहुंचाई है। चीन जिस तरह दुनिया में कर्ज का जाल फैला रहा है और उसके बलबूते छोटे देशों को अपने चंगुल में फंसा रहा है, इसे लेकर भी कई रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जिनमें चीन के इस 'आर्थिक जाल' को लेकर चिंता जताई गई है।
दुनिया को कर्ज के जाल में फंसा रहा चीन
फिलहाल चीन की जिस महत्वाकांक्षी परियोजना की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) है। अरबों डॉलर की इस परियोजना में कई अफ्रीकी देश भी शामिल हैं, जो लगातार चीनी कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं। भारत के पड़ोसी श्रीलंका, बांग्लादेश के साथ-साथ मालदीव, भूटान, नेपाल जैसे छोटे देशों में चीन लगातार अपनी पैठ बनाने की कोशिश में जुटा है। BRI परियोजना के नाम पर वह दुनिया केा कर्ज के जाल में फंसा रहा है। बताया जा रहा है कि उसकी इस परियोजना से इस्लामिक जगत के 30 मुल्क शामिल हैं।
पाकिस्तान, सऊदी अरब, ईरान सहित कई देशों में चीन ने करोड़ों डॉलर का निवेश किया है। ऐसे में आसानी से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के साथ होने वाले उस जुल्म, ज्यादती को लेकर ये मुल्क खामोश क्यों हैं, जिसे अमेरिका का शीर्ष नेतृत्व और कई मानवाधिकार संगठन भी 'जनसंहार' कहते रहे हैं। यह अलग बात है कि चीन शिनजियांग के डिटेंशन सेंटर्स को व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र बताता है और कहता है कि इससे उसे चरमपंथ से लड़ने में मदद मिलती है।