- डोनाल्ड ट्रंप ने चेताया है कि आने वाले दिनों में कोरोना संकट और गहरा सकता है
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वायरस की स्थिति बेहतर होने से पहले बदतर हो सकती है
- वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर इसे 'चाइनीज वायरस' नाम देते हुए चीन पर निशाना साधा
वाशिंगटन : अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण के रोजाना सामने आ रहे नए मामलों के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेताया है कि यहां हालात और बुरे हो सकते हैं। उनकी यह चेतावनी ऐसे समय में आई है, जबकि देश में कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक 1.44 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि संक्रमण के मामले बढ़कर 40.28 लाख से अधिक हो चुके हैं। यहां कोरोना वायरस संक्रमण के रोजाना करीब 70,000 मामले सामने आ रहे हैं और संक्रमण तथा मृत्यु दोनों के लिहाज से यह दुनिया का सर्वाधिक प्रभावित देश है।
'और खराब हो सकती है स्थिति'
कोरोना संक्रमण के गहराते संकट और दुनियाभर में इसकी रोकथाम को लेकर वैक्सीन के ट्रायल के बीच ट्रंप ने एक दिन पहले ही यह भी कहा था कि इस दिशा में जल्द ही शानदार उपलब्धि हासिल होगी और कोरोना को कैद कर लिया जाएगा। लेकिन अब कोरोना वायरस महामारी की विकराल होती स्थिति के बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका में जब तक इस घातक संक्रमण की रोकथाम को लेकर उपाय किए जाएंगे, तब तक स्थिति यहां और खराब हो सकती है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'वायरस की स्थिति बेहतर होने से पहले बदतर हो सकती है।'
ट्रंप ने चीन पर फिर साधा निशाना
व्हाइट हाउस में मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप ने एक बार फिर कोरोना वायरस के लिए 'चाइनीज वायरस' शब्द का इस्तेमाल करते हुए चीन पर निशाना साधा और कहा कि यह चीन से शुरू हुआ। वे इसे रोक सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह एक वैश्विक समस्या है, लेकिन यह चीन के कारण पूरी दुनिया में फैली। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए उन्होंने लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और मास्क पहनने की अपील भी की। इस दौरान उन्होंने अपनी जेब से एक मास्क निकाला, हालांकि इसे उन्होंने पहना नहीं।
'वैक्सीन की दौड़ में अमेरिका सबसे आगे'
अमेरिकी राष्ट्रपति ने हालांकि एक बार फिर आश्वासन दिया कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए टीका जल्द आने की उम्मीद है और अमेरिका इसमें सबसे 'सबसे आगे' है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के बाद भारत में व्यापक स्तर पर जांच की जा रही है। अमेरिका में जहां जल्द ही जांच का आंकड़ा पांच करोड़ को पार करने वाला है, वहीं भारत इस मामले में दूसरे नंबर पर है, जहां 1.2 करोड़ जांच हुई है।