- दुबई के एक अस्पताल ने भारतीय श्रमिक का 1.52 करोड़ रुपये का मेडिकल बिल माफ कर दिया
- कोरोना संक्रमण के कारण उसे अस्तपाल में भर्ती कराया गया था, जहां वह 80 दिनों तक भर्ती रहे
- तेलंगाना के रहने वाले इस शख्स को कोरोना संक्रमण के कारण 23 अप्रैल को भर्ती कराया गया था
नई दिल्ली/दुबई : भारत में निजी अस्पतालों द्वारा बिल को लेकर मरीजों और उनके तीमारदारों के साथ दुर्व्यवहार की रिपोर्ट्स के बीच दुबई से एक अच्छी खबर सामने आई है। यहां एक अस्पताल ने भारतीय श्रमिक का करीब 1.52 करोड़ रुपये का बिल माफ कर दिया, क्योंकि इतनी बड़ी रकम चुका पाने की उसकी हैसियत नहीं थी। वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और स्थानीय अस्पताल में करीब 80 दिनों तक उसका इलाज चला था।
80 दिनों तक रहे अस्पताल में भर्ती
कोरोना संक्रमण से पहले दुबई में काम कर रहे इस शख्स का नाम ओडाला राजेश बताया जा रहा है, जो 42 साल के हैं। वह मूलत: तेलंगाना के हैदराबाद के रहने वाले हैं और अब अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह हैदराबाद में अपने घर पहुंच गए हैं। उन्हें 23 अप्रैल को दुबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद वह 80 दिनों तक वहां भर्ती रहे। यह अस्पताल दुबई डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल सर्विसेज का एक हिस्सा है और एक बहु आयामी विशिष्ट अस्पताल है।
1.52 करोड़ रुपये के बराबर का था बिल
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल से छुट्टी के वक्त जब उसे बिल पकड़ाया गया तो उसके होश उड़ गए। बिल 7,62,555 दिरहम का था और यह राशि भारतीय मुद्रा में तकरीबन 1.52 करोड़ रुपये है। यहां श्रमिक के तौर पर काम करने वाले राजेश की इतनी हैसियत नहीं थी कि वह बिल की इतनी भारी-भरकम राशि चुका सके। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराने वाले दुबई स्थित गल्फ वर्कर्स प्रोटेक्शन सोसायटी के प्रेसीडेंट गुंडेल्ली नरसिम्हा ने इस मामले से दुबई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास से संपर्क किया।
भारतीय वाणिज्यदूतावास ने ऐसे दी मदद
भारतीय वाणिज्य दूतावास से गरीब श्रमिक की मदद करने का अनुरोध किया गया। इसके बाद वाणिज्य दूतावावस की ओर से दुबई के अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिखकर मानवीय आधार पर श्रमिक का बिल माफ करने का अनुरोध किया गया, जिस पर अस्पताल ने दरियादिली दिखाते हुए उसका पूरा बिल माफ कर दिया। वहां मौजूद भारतीय वॉलंटियर्स ने ओडाला राजेश और उसके एक साथी डी. कन्कैया के भी भारत लौटने की व्यवस्था की और उन्हें जेब खर्च के लिए 10 हजार रुपये भी दिए।