- जी-20 के नेताओं ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये एक-दूसरे से बात की और COVID19 महामारी के संकट पर चर्चा की
- पीएम मोदी भी जी-20 के नेताओं से वर्चुअल तरीके से जुड़े, उनके साथ एनएसए अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी थे
- जी-20 के देशों ने महामारी कारण सुस्त हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बड़े बेलआउट पैकेज का भी ऐलान किया
रियाद : ऐसे में जबकि पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है, जी-20 के देशों ने इस वैश्विक महामारी से उपजे हालात का मुकाबला मिलकर करने का फैसला लिया है। जी-20 के देशों ने इस वायस के संक्रमण के कारण सुस्त हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बड़े बेलआउट पैकेज का भी ऐलान किया है। जी-20 देशों के नेताओं के वर्चुअल सम्मेलन के बाद जारी बयान में कहा गया है कि इस वैश्विक संगठन के देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में पांच हजार अरब डॉलर का योगदान देंगे।
पीएम मोदी भी हुए शामिल
जी-20 देशों के नेताओं ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये एक-दूसरे से बात की और COVID19 महामारी के संकट से उपजे हालात पर चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस दौरान जी-20 के नेताओं से वर्चुअल तरीके से जुड़े। इस दौरान पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने इस दौरान खासकर मानवीय पहलुओं की ओर वैश्विक नेताओं का ध्यान खींचा और कोरोना वायरस के कारण खासकर समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए योजना बनाने की अपील की, जो इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।
मानवीय पहलुओं पर जोर
उन्होंने इस दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को मजबूत बनाने पर भी जोर दिया। पीएम मोदी ने इस दौरान वैश्वीकरण की नई परिभाषा गढ़ने पर जोर दिया और कहा कि इसे आर्थिक व वित्तीय पहलुओं के साथ-साथ मानवता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। पीएम मोदी ने इस दौरान वैश्विक महामारी के कारण सामाजिक व आर्थिक संकट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के जो मामले आए हैं, उनमें 90 प्रतिशत जी-20 के देशों के ही हैं, जबकि 88 प्रतिशत मौतें भी इन्हीं देशों में हुई है। ये देश वैश्विक जीडीपी में 80 प्रतिशत का योगदान देते हैं और इन देशों में कुल वैश्विक जनसंख्या का 60 प्रतिशत लोग रहते हैं।
सऊदी शाह ने की अध्यक्षता
जी-20 के सदस्य देशों की यह आपात बैठक कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए वैश्विक समन्वय को लेकर की गई, जिसकी अध्यक्षता सऊदी अरब के शाह सलमान ने की। उन्होंने इस वैश्विक संकट से मुकाबले के लिए 'प्रभावी, समन्वित' प्रतिक्रिया का अनुरोध किया। इस दौरान किसी भी नेता ने न तो इस महामारी के टाइमलाइन को परिभाषित करने की कोशिश की और न ही इस दौरान इस पर चर्चा हुई कि यह वायरस आखिर कहां से शुरू हुआ।
आरोप-प्रत्यारोप नहीं, एकजुटता का संकल्प
जिस तरह से अमेरिका इस वायरस की उत्पत्ति के लिए चीन पर उंगली उठाता रहा है और पूरी दुनिया को संकट में डालने का आरोप लगाता रहा है, जबकि चीन इसके पीछे बड़ी साजिश का संकेत करते हुए अमेरिका की ओर उंगली उठाता रहा है, उसे देखते हुए यह काफी अहम जान पड़ता है। जी-20 देशों के नेताओं के 'वर्चुअल' सम्मेलन के दौरान बस साथ मिलकर इस संकट के समाधान पर चर्चा की गई। किसी भी देश को वायरस के फैलने को लेकर आरोपित करने का कोई प्रयास नहीं हुआ। वैश्विक नेताओं ने इस संक्रामक रोग के उपचार के लिए जल्द व प्रभावी किट विकसित करने और इसे जल्द से जल्द उपलब्ध कराने पर जोर दिया।