- अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस ज्यादती से मौत के बाद नस्ली भेदभाव को लेकर बहस छिड़ गई है
- अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज की मौत को करीब दो सप्ताह हो गए हैं, पर प्रदर्शनकारी अब सड़कों पर डटे हुए हैं
- प्रदर्शनकारी जॉर्ज और उनके परिवार के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं, जिसे व्यापक समर्थन मिल रहा है
वाशिंगटन : अमेरिका में अफ्रीकी मूल के नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस यातना से मौत के बाद यहां बीते सप्ताह से ही प्रदर्शनों का दौर जारी है। आम तौर पर यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा तो कई जगह हिंसा व लूटपाट की घटनाएं भी हुईं। जॉर्ज की मौत के बाद अमेरिका में अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव को लेकर लोगों में रोष एक बार फिर बढ़ता जा रहा है। अमेरिका में बड़ी संख्या में लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं, जो जॉर्ज और उनके परिवार के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। कई नामचीन हस्तियों ने भी इस प्रदर्शन के प्रति अपना समर्थन जताया है।
'टाइम' ने बदला कवर
अब अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने भी अमेरिकी समाज में अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई है। टाइम मैगजीन ने अपने अगले अंक का कवर जारी किया है, जिसमें एक अश्वेत मां अपने बच्चे को गोद में थामे नजर आ रही है। मैगजीन ने अपने लाल रंग के बॉर्डर में भी बदलाव किया है, ताकि इसमें उन लोगों के नामों को शामिल किया जा सके, जो अमेरिका में नस्लभेदी हमलों का शिकार हुए हैं। टाइम ने इसमें ऐसे 35 महिलाओं व पुरुषों का नाम शामिल किए, जो देश में नस्ली भेदभाव और पुलिस ज्यादती का शिकार हुए।
दो सप्ताह से डटे हैं प्रदर्शनकारी
टाइम ने अपने कवर के रेड बॉर्डर के बाद व्हाइट स्पेस छोड़ा है, जिसमें पुलिस यातना से जान गंवाने वालों के नाम लिखे गए हैं। जॉर्ज की मौत के बाद अमेरिकी समाज में नस्लभेद को लेकर नई बहस छिड़ गई है। न केवल अमेरिका, बल्कि ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इंग्लैंड सहित कई देशों में जॉर्ज के समर्थन में रैलियां एवं प्रदर्शन हुए। अमेरिका में भी कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते खतरों और पुलिस की सख्ती के बावजूद प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं।
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत 25 मई को अमेरिका के मिनियापोलिस में एक श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों हो गई थी। पुलिस अधिकारी ने करीब आठ मिनट तक उसकी गर्दन को अपने घुटने से दबाए रखा था, जिसके कारण उसका सांस ले पाना मुश्किल हो गया था। घटना का वीडियो भी सामने आया था, जिसमें जॉर्ज को 'आई कांट ब्रीद' कहते सुना गया। इसने अमेरिका में नस्ली भेदभाव को लेकर लोगों में एक बार फिर से रोष पैदा कर दिया है।