- कोरोना संकट से निपटने के लिए भारत ने मालदीव को दी 25 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद
- पर्यटन पर आधारित है मालदीव की अर्थव्यवस्था, कोरोना का अर्तव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा
- इस आर्थिक मदद के लिए मालदीव के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी का आभार जताया है
नई दिल्ली : भारत और मालदीव की दोस्ती एक कदम और परवान चढ़ी है। कोरोना संकट की मार झेल रहे मालदीव को मदद का हाथ बढ़ाते हुए भारत ने उसे 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मदद की है। पड़ोसी देश मालदीव की आर्थिक मदद भारत ने ऐसे समय की है जब वह चीन के कर्ज में जाल में फंसा हुआ है और कोरोना संकट की उसकी अर्थव्यव्था को भारी नुकसान पहुंचा है। इस मदद के लिए मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सालिह ने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी जानकारी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'करीबी दोस्त और पड़ोसी भारत और मालदीव कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव एवं स्वास्थ्य संकट के खिलाफ लड़ाई में एक-दूसरे का सहयोग करना जारी रखेंगे।' पीएम मोदी के संदेश से पहले मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत सरकार के प्रति आभार जताते हुए कहा कि मालदीव को जब कभी भी दोस्त की जरूरत पड़ी है तो नई दिल्ली हमेशा मदद के लिए आगे आई है। उन्होंने कहा, 'आर्थिक सहायता के रूप में 25 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की जनता के प्रति आभार जताता हूं।'
मालदीव को मिला 10 वर्षों के लिए लोन
कोरोना संकट से निपटने के लिए भारत ने मालदीव को 10 वर्षों के लिए यह लोन दिया है। दरअसल, मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत से लोन देने का आग्रह किया था जिसके बाद भारत सरकार ने यह फैसला लिया। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहीद ने इस आर्थिक मदद के लिए भारत को धन्यवाद कहा है। उन्होंने संकट के समय राहत पहुंचाने भारत को 'महान मित्र' बताया है।
पर्यटन पर आधारित है मालदीव की अर्थव्यवस्था
मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है लेकिन कोविड-19 के संकट के चलते उसकी यह अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ा है। लोगों ने इस देश की यात्रा करना करीब-करीब बंद कर दिया है। मालदीव की अर्थव्यवस्था कर्ज के भंवर में है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने चीन से भारी मात्रा में कर्ज लिया। अब यह कर्ज मालदीव के लिए गले की फांस बन गया है। यामीन का झुकाव भारत से ज्यादा चीन की तरफ रहा है। यामीन के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने भारतीय हितों की अनदेखी करते हुए चीन के हितों की ज्यादा तरजीह दी।