- चीनी सेना ने अब नेपाल में घुसकर खड़ी की नौ इमारतें
- चीन ने नेपाल के हुमला इलाके में कम से कम 9 बिल्डिंग्स का निर्माण किया
- स्थानीय लोगों को भी वहां जाने से रोक रहे हैं PLA सैनिक
काठमांडू: नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दोस्त चीन ने अब उन्हें ही दगा दे दिया है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी दोस्ती को मजबूत कर रहे ओली को चीनी सेना ने जोर का झटका धीरे से दिया है। भारतीय इलाकों को अपना बताने वाला नेपाल खुद अपनी ही जमीन की रक्षा नहीं कर पा रहा है। चीन ने नेपाल की सीमा में 2 किलोमीटर अंदर तक घुसकर वहां ना केवल जमीन पर कब्जा किया है बल्कि 9 नई इमारतें भी खड़ी कर दी हैं। इन इमारतों को नेपाल के हुमला जिले में खड़ा किया है। इन बिल्डिंग्स की तस्वीर वायरल होने के बाद ओली सरकार पर खासा दवाब पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों को नहीं आने दे रहे हैं चीनी सैनिक
नेपाली विदेश मंत्रालय को अब इसकी जानाकारी दे दी गई है। नेपाल की मीडिया के मुताबिक ये निर्माण कार्य वहां के हुमला जिले के के लिमी और लापचा इलाके स्थित नाम्ख्या गांव में हुआ है। सबसे गौर करने वाली बात ये है कि जब स्थानीय लोग यहां गए तो चीनी सैनिकों ने उन्हें अपने ही इलाके में आने से रोक दिया खबरों की मानें तो चीन इस इलाके में पहले भी निर्माण कार्य कर रहा था लेकिन 2019 में इसे रोक लिया गया था और नेपाल ने इसे लेकर विरोध जताया था।
चीन ने उठाया फायदा
नेपाल के हमाल जिले के जिस लापचा-लिपू क्षेत्र में चीन यह निर्माण कर रहा है वो मुख्यालय से दूर रहने की वजह से हमेशा उपेक्षित रहा है। इस इलाके में नेपाली अधिकारी भी नहीं आते हैं और इसी का फायदा चीन ने उठाया और यहां 9 बिल्डिंग बना ली। अब जैसे ही नेपाली मीडिया में यह खबर आई तो प्रशासन भी हरकत में आया है और उसने रिपोर्ट बनाकर गृह मंत्रालय को भेज दी है। नेपाल में चीनी घुसपैठ के इस मामले को लेकर विपक्ष भी सरकार पर निशाना साध रहा है। कहा जा रहा है कि नेपाल जल्द ही इस मुद्दे को लेकर चीन के अधिकारियों को तलब कर सकता है।
विपक्ष ने लिखा सरकार को पत्र
सरकार की रिपोर्ट के बाद, विपक्षी नेपाली कांग्रेस ने केपी शर्मा ओली सरकार से बीजिंग के साथ बातचीत करके अतिक्रमित क्षेत्र को वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन अभी तक ओली ने इसे लेकर चुप्पी साधी हुई है। प्रतिनिधि सभा के सचिव को लिखे एक पत्र में, विपक्ष ने दावा किया कि विभिन्न जिलों जैसे डोल्खा, हुमला, सिंधुपालचौक, गोरखा और रसुवा की 64 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर चीन द्वारा अतिक्रमण किया गया है।