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Sputnik V Vaccine: क्या रूस ने वैक्सीन लांच करने में जल्दबाजी की, इस वजह से उठाए जा रहे हैं सवाल

Updated Aug 13, 2020 | 16:11 IST

Sputnik V vaccine side effects: इस तरह की जानकारी सामने आ रही है कि रूसी वैक्सीन स्पुतनिक v से साइट इफेक्ट हो रहा है, इस वैक्सीन की विश्वसनीयता पर कई देश सवाल उठा चुके हैं।

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रूसी वैक्सीन का नाम है स्पुतनिक v साइड इफेक्ट की सामने आई जानकारी ( प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुख्य बातें
  • स्पुतनिक v वैक्सीन से साइड इफेक्ट की जानकारी सामने आई
  • दुनिया के कई देश रूस से फेज थ्री डेटा की कर रहे हैं मांग
  • अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन पहले ही उठा चुके हैं सवाल

नई दिल्ली। रूस ने कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन लांच कर दिया है और उसका नाम स्पुतनिक v है। यह वैक्सीन कुल 38 वालंटियर्स को दी गई है, उनमें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बेटी भी शामिल है। अब इस तरह की जानकारी सामने आ रही है कि जिन लोगों को वैक्सीन दी गई है उनमें साइड इफेक्ट देखे जा रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि रूस ने फेज थ्री के डेटा को शेयर नहीं किया है जिसकी मांग विश्व स्वास्थ्य संगठन कर रहा है। अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन की तरफ से भी सवाल उठाया गया है।

फेज थ्री का डेटा क्यों नहीं पब्लिश कर रहा है रूस
जानकारों का कहना है कि आखिर रूस को फेज थ्री के डेटा को सार्वजनिक करने में परेशानी किस बात की है। यह तो दुनिया के लिए अच्छी खबर होगी कि रूस डेटा के बारे में जानकारी दे और विश्व के शोधकर्ता सार्थक बहस कर सकें। दुनिया में अगर कोई भी देश इतना जल्दबाजी में वैक्सीन को बनाने या लांच करने का दावा करता है तो उसे विश्वसनीयता की कसौटी पर खरा उतरना होगा। 

रूसी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स, अखबार का दावा
डेली मेल की खबर के मुताबिक रूसी वैक्सीन सिर्फ 38 वॉलंटियर्स को दी गई और 144 तरह के साइड इफेक्ट दर्ज किए गए। यह भी बताया गया है कि ट्रायल के 42 वें दिन तक 31 वॉलंटियर्स में साइड इपेक्ट नजर आ रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि ट्रायल के तीसरे चरण पर रूस जानकारी देने के लिए तैयार नहीं है। रूस का जानकारी न देना ही उसे संदेह के घेरे में खड़ा कर रहा है। 



ऐसे तो वैक्सीन से लगने लगेगा डर
रूस ने इस वैक्सीन से जुड़ा कोई डेटा जारी नहीं किया था और उस वजह से अमेरिका और जर्मनी वैक्सीन पर शक कर रहे हैं।  WHO ने रूस से इस वैक्सीन से जुड़ा डेटा जारी करने को कहा है। यहां दिलचस्प टिप्पणी ऑकलैंड विश्वविद्यालय की प्रोफेसर निकी टर्नर की है। उनका कहना है कि  रूस ने जिस वैक्सीन को रजिस्टर किया उसके तीसरे चरण का ट्रायल उतना भरोसेमंद नहीं है। उन्होंने कहा कि यही सबसे बड़ा खतरा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐसा वैक्सीन है, जिसे छूने में भी डर लगेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि वैज्ञानिक अपने डेटा को पब्लिश करे और वह डेटा पारदर्शी हो।