नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान इस तरह की तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं, जहां लोग अपने-अपने गृह राज्यों की ओर पैदल ही या साइकिल पर निकल पड़े है। कई जगह लोग अपने बुजुर्गों को कंधे पर बैठाकर भी ले जा रहे हैं। 13 साल की ज्योति कुमारी की ऐसी ही कहानी सामने आई है। कक्षा 7 में पढ़ने वाली ये छात्रा ने लॉकडाउन के दौरान अपने पिता को साइकिल पर पीछे बैठाकर 1,200 किलोमीटर की यात्रा करती है।
हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा तक ज्योति का का सफर कठिनाइयों और बाधाओं से भरा था, लेकिन उसके धैर्य और दृढ़ संकल्प के आगे ये सब कम पड़ गया। ज्योति ने 10 मई को दिल्ली से अपनी यात्रा शुरू की थी। 7 दिन में उसने अपना सफर पूरा कर लिया।
ज्योति ने कहा, 'हमारे पास बहुत कम पैसे बचे थे। मकान मालिक ने मेरे पिता से कहा कि या तो वह किराया दे या घर खाली कर दे। यह बहुत ही हताश करने वाली स्थिति थी। हमने फिर अपने गांव लौटने का फैसला किया। बिहार ले जाने के लिए हमने एक ट्रक ड्राइवर से बातचीत की लेकिन उसने 6,000 रुपए की मांग की जो हमारे पास नहीं थे। मेरे पिता ने 500 रुपए में एक साइकिल खरीदी और हमने दरभंगा की यात्रा की।'
उसने बताया, 'इस यात्रा के दौरान सबसे बड़ी चिंता सड़क दुर्घटनाओं को लेकर थी। मैं रात में भी साइकिल चलाते हुए नहीं डरती थी। मेरा एकमात्र डर यह था कि कोई वाहन पीछे से आकर हमें न मार दे। सौभाग्य से, हमें ऐसी किसी भी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा।'
ज्योति के पिता दिल्ली में ई-रिक्शा चलाते थे। लेकिन 25 मार्च से लॉकडाउन के कारण वो अपना रिक्शा नहीं चला सके और बेरोजगार हो गए। उनके एक पैर में चोट भी लगी थी। ज्योति ने कहा, 'हमारे पास केवल 600 रुपए थे। हमने आमतौर पर राहत शिविरों में खाना खाया। रास्ते में लोग खाना दे रहे थे।' गांव पहुंचने के बाद ज्योति को होम क्वारंटीन में जाने के लिए कहा गया क्योंकि वह क्वारंटीन सेंटर में एकमात्र महिला थी।