- सऊदी अरब ने पाकिस्तान से कहा है कि वह उसका 1 अरब डॉलर का कर्ज चुकाए
- विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सऊदी अरब को एक तरह से खुली चुनौती दी है
- पाकिस्तान चाहता है कि सऊदी अरब ओआईसी की बैठक बुलाने में मदद करे
लंदन : सऊदी अरब और पाकिस्तान के रिश्ते अपने अब तक के सबसे निचले दौर में पहुंच गए हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दोनों देशों के बीच दशकों पुराना रिश्ता खत्म होने की कगार पर है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का अपना कर्ज चुकाने के लिए कहा है। यह रकम 6.2 अरब डॉलर के उस कर्ज का हिस्सा है जिसकी घोषणा सऊदी अरब ने नवंबर 2018 में की थी। इसमें कर्ज के रूप में तीन अरब डॉलर और ऑयल क्रेडिट सुविधा के रूप में 3.2 अरब डॉलर शामिल हैं। 'मिडिल इस्ट मॉनिटर' की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब ने अब पाकिस्तान से इस राशि का एक अरब डॉलर उसे चुकाने के लिए कहा है।
कुरैशी ने कुछ दिनों पहले एक टीवी चैनल के साथ बातचीत की
दरअसल, यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कुछ दिनों पहले एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में सऊदी अरब को खुली चुनौती दी। 'एआरवाई चैनल' के साथ बातचीत में कुरैशी ने कहा, 'कश्मीर के मसले पर यदि आप (सऊदी अरब) भारत के खिलाफ स्टैंड नहीं ले सकते तो मुझे प्रधानमंत्री इमरान खान से कहने के लिए बाध्य होना पड़ेगा कि वह इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक बुलाएं। क्योंकि ओआईसी के मुस्लिम देश कश्मीर पर हमारा साथ देने के लिए तैयार हैं। वे पीड़ित कश्मीरियों के साथ खड़ा होना चाहते हैं।'
पाक चाहता है कि कश्मीर मसले पर उसका साथ दे सऊदी अरब
कुरैशी ने आगे कहा, 'मैं एक बार फिर आदरपूर्वक ओआईसी से कहना चाहूंगा कि ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक हमारी उम्मीद में शामिल है।' आईआईसी 57 मुस्लिम देशों का एक समूह है और यह संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा समूह है। समझा जाता है कि कुरैशी का यह बयान सऊदी अरब को नागवार गुजरा है और उसने अपनी नाराजगी प्रकट करने के लिए उसे कर्ज का भुगतान करने के लिए कहा है।
कश्मीर मसले को फिर हवा देना चाहता है पाक
कुरैशी ने आगे कहा कि 'सऊदी अरब के अनुरोध पर पाकिस्तान कुआलालम्पुर समिट में शरीक नहीं हुआ, ऐसे में वह अब सऊदी अरब से उम्मीद करता है कि वह कश्मीर मसले पर अपना नेतृत्व दिखाए।' जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खत्म होने के मौके पर पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर मसले को हवा देना चाहता है। भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले इस अनुच्छेद को खत्म करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया।
सऊदी अरब और पाक के रहे हैं करीबी संबंध
भारत सरकार के इस कदम से पाकिस्तान के पैरों तले जमीन खिसक गई। इसके बाद से ही पाकिस्तान कश्मीर मसले को दुनिया के अलग-अलग मंचों पर उठाने की कोशिश करता रहा है लेकिन उसे हर जगह कूटनीतिक नाकामी मिलती रही है। चीन, तुर्की और मलेशिया को छोड़कर कोई भी देश उसके समर्थन में नहीं आया। यहां तक प्रमुख मुस्लिम देश सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने उसे झटका दिया। इमरान खान ने पिछले साल यूएन के अपने संबोधन में भी कश्मीर मसले को जोर-शोर से उठाया लेकिन किसी भी देश ने उनमें भरोसा नहीं जताया। अब कुरैशी का बयान पाकिस्तान के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है क्योंकि सऊदी अरब से उसे सहयोग एवं राहत के रूप में बड़ी रकम मिलती है।