इस्लामाबाद : पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान पर इस्तीफे को लेकर विपक्ष का दबाव बढ़ता जा रहा है। यहां गहराते सियासी संकट ने उस वक्त पर्यवेक्षकों को हैरान कर दिया था, जब बुधवार को सीनेट की 37 सीटों के लिए चुनाव हुए। हालांकि इस चुनाव में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की स्थिति 100 सदस्यीय सीनेट में मजबूत होकर उभरी, लेकिन प्रतिष्ठित इस्लामाबाद सीट से वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख की हार ने कई सवाल खड़े किए। खासकर ऐसे में जबकि उनकी जीत के लिए खुद इमरान खान ने कोशिश की थी।
शेख की गिनती इमरान खान के करीबी सहयोगियों में की जाती है। बुधवार (3 मार्च) को हुए सीनेट के चुनाव में उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने हराया, जिसे इमरान खान के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। गिलानी को 169 मत मिले, जबकि शेख को 164 मत मिले। सीनेट पाकिस्तान की संसद का द्वितीय एवं उच्च सदन है, जिसके चुनाव में संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली के सदस्य और चार प्रांतीय असेंबलियों के सदस्य वोट देते हैं। इस हार के बाद ही यह सवाल उठने लगा कि क्या इमरान खान के पास नेशनल असेंबली में बहुमत है या नहीं?
नेशनल असेंबली में विश्वास प्रस्ताव
विपक्ष ने यह कहते हुए इमरान खान से इस्तीफा मांगा कि उनकी अपनी ही पार्टी के लोगों ने उन्हें वोट देने से इनकार कर दिया। विपक्ष के इन हमलों के बीच इमरान खान ने गुरुवार (4 मार्च) को टेलीविजन पर देश की जनता को संबोधित किया तो उन्होंने किसी को भी नहीं बख्शा। उन्होंने विपक्ष की नीयत पर सवाल उठाए तो अपनी पार्टी के कुछ सांसदों पर विपक्ष से 'रिश्वत' लेने का आरोप भी लगाया। इमरान खान पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग पर भी जमकर बरसे और उस पर भ्रष्टाचार को रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया।
इन सबके बीच इमरान खान ने 6 मार्च (शनिवार) को नेशनल असेंबली में विश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा भी की और यह भी कहा कि अगर वह इसमें हार गए तो विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे। नेशनल असेंबली में आज वही विश्वास प्रस्ताव पेश किया जाना है। नेशनल असेंबली में विश्वास प्रस्ताव दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर पेश किया जाएगा, जिसके बाद इस पर चर्चा और फिर वोटिंग होगी। देर शाम इसके नतीजे घोषित होने की उम्मीद की जा रही है। विपक्ष पहले ही कह चुका है कि वह इस सत्र का बहिष्कार करेगा और विश्वास प्रस्ताव में हिस्सा नहीं लेगा।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि सीनेट चुनाव में वित्त मंत्री की हार और विपक्षी उम्मीदवार गिलानी की जीत ही प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ 'अविश्वास प्रस्ताव' है और इस पर मुहर लग चुकी है। इस बीच, इमरान खान के आरोपों पर चुनाव आयोग ने भी प्रतिक्रिया दी है और कहा कि सीनेट के चुनाव संविधान के मुताबिक ही हुए हैं और आयोग किसी तरह के दबाव में नहीं आया। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के सोमवार के आदेश पर सीनेट के चुनाव गुप्त मतदान प्रक्रिया के तहत कराए गए। अब इमरान खान ने नेशनल असेंबली में विश्वास प्रस्ताव पर खुली वोटिंग की बात कही है।
नेशनल असेंबली में क्या है स्थिति
अब अगर एक नजर नेशनल असेंबली की सीट संख्या पर डालें तो सदन की सदस्य संख्या कुल 342 है, जिनमें से दो सीटें रिक्त हैं। इस तरह सदन में इस वक्त 340 सांसद हैं। इमरान खान की पार्टी के 157 सांसद हैं। सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए उन्हें 171 सांसदों की आवश्यकता है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेताओं का मानना है कि इमरान खान को गठबंधन सहयोगियों का भी समर्थन हासिल होगा, जिनकी मदद से वह सरकार चला रहे हैं। ऐसे में वह आसानी से यह विश्वास प्रस्ताव जीत जाएंगे।
पाकिस्तान के अखबारों में सियासी जानकारों के हवाले से जो रिपोर्ट सामने आ रही है, उसके मुताबिक इमरान खान के लिए इस विश्वास प्रस्ताव को जीतने में फिलहाल कोई मुश्किल नजर नहीं आ रही है। लेकिन यह महत्वपूर्ण होगा कि उन्हें आखिर कितने वोट मिलते हैं। आगे इमरान खान विपक्ष को लेकर किस तरह की रणनीति अपनाते हैं या विपक्ष सरकार के खिलाफ क्या रणनीति अपनाता है, यह काफी कुछ इस पर निर्भर करेगा। नेशनल असेंबली में विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के 83 सदस्य हैं, जबकि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के 55 सांसद हैं।