- पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट ने सेना प्रमुख के कार्यकाल विस्तार के इमरान सरकार के फैसले को फिलहाल रोक दिया है
- कोर्ट ने कहा कि सरकार की ओर से जो अधिसूचना जारी की गई, उसे 25 में से केवल 11 कैबिनेट सदस्यों की ही मंजूरी मिली है
- जनरल बाजवा ने तीन साल पहले राहिल शरीफ के रिटायर होने के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख के तौर पर कमान संभाली थी
इस्लामाबाद : पाकिस्तान में इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार ने हाल ही में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ा दिया था। लेकिन अब इसे लेकर इमरान सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने बाजवा का कार्यकाल नवंबर 2022 तक बढ़ाने के सरकार के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है और इस मामले की सुनवाई 27 नवंबर के लिए निर्धारित की है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख के तौर पर बाजवा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है। लेकिन इमरान खान की सरकार ने 19 नवंबर को ही बाजवा को तीन साल का कार्यकाल विस्तार देने का फैसला लिया था और इस संबंध में अधिसूचना भी जारी की थी, जिसके बाद उनका कार्यकाल नवंबर 2022 तक का हो गया था, लेकिन इमरान सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक दिया है।
कोर्ट ने कहा कि बाजवा के कार्यकाल विस्तार के फैसले को कैबिनेट के 25 में से केवल 11 सदस्यों ने मंजूरी दी, जो बहुमत से कम है, जबकि कैबिनेट के आधे से अधिक 14 सदस्यों ने इस पर अपनी राय नहीं दी। इसकी वजह उनकी अनुपलब्धता बताई गई है। कोर्ट ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या सरकार ने उनकी खामोशी को उनकी सहमति समझ लिया?
पाकिस्तान के सेना प्रमुख के तौर पर जनरल बाजवा ने तीन साल पहले कमान संभाली थी। वह राहिल शरीफ के रिटायर होने के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख बने थे। माना जाता है कि जनरल बाजवा को कश्मीर व नियंत्रण रेखा पर अच्छा अनुभव है और उनके सेना प्रमुख बनने के पीछे भी यह बड़ा कारण है। फिर, बाजवा बलूच रेजीमेंट से आते हैं और गिलगित-बालटिस्तान में कमांडर भी रह चुके हैं। पाकिस्तान के सेना प्रमुख के तौर पर बाजवा की नियुक्ति का कारण इन इलाकों में उनके अनुभव को भी बताया जाता है, जहां मानवाधिकार का मुद्दा भारत अक्सर उठाता रहा है।