काबुल : अफगानिस्तान में पाकिस्तान के दोहरे रवैये का पर्दाफाश हो चुका है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान जहां एक ओर तालिबान की मदद करता रहा, वहीं दुनिया को यह भी दिखाता रहा कि वह अफगानिस्तान की सरकार की मदद कर रहरा है। अमेरिकी प्रशासन के सामने भी स्थिति स्पष्ट है, जिसे देखते हुए यहां पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन की मांग उठने लगी है। राष्ट्रपति जो बाइडेन की अगुवाई वाले प्रशासन ने पाकिस्तान के साथ संबंधों की नए सिरे से समीक्षा की बात कही है तो अमेरिकी कांग्रेस में भी ऐसी मांग उठने लगी है।
अमेरिकी कांग्रेस में चर्चा के दौरान सांसदों ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान की 'दोहरी नीति' को लेकर सवाल उठाए और बाइडेन प्रशासन से पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करने को कहा। सांसद बिल कीटिंग ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान बीते कई दशकों से अफगानिस्तान में नकारात्मक भूमिका निभाता आ रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के हक्कानी नेटवर्क से मजबूत संबंध रहे हैं, जो अब तालिबान की अगुवाई वाली अफगानिस्तान की नई सरकार में अहम भूमिका निभा रहा है।
'पाकिस्तान के 'डबल डील' को समझने की जरूरत'
सांसदों ने इस दौरान अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच अफगानिस्तान में अफरातफरी को लेकर बाइडेन प्रशासन पर भी निशाना साधा। सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बॉब मेनेनडेज ने कहा कि पाकिस्तान के 'डबल डील' को समझने की जरूरत है, जो तालिबान को सुरक्षित पनाहगाह भी मुहैया कराता रहा। बाइडेन प्रशासन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने कई गलतियां की।
डेमोक्रेट सीनेटर क्रिस वैन हॉलेन ने इस दौरान कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI पर नजर रखने की जरूरत है। रिपब्लिकन सांसद मार्क ग्रीन ने कहा कि ISI जिस तरह तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को खुलेआम समर्थन दे रहा है, उसे देखते हुए अमेरिका को भारत के साथ मजबूत संबंधों पर भी विचार करने की जरूरत है।
वहीं, कांग्रेस सदस्य स्कॉट पैरी ने कहा कि पाकिस्तान अमेरिकी करदाताओं के पैसे से हक्कानी नेटवर्क और तालिबान को समर्थन व सहायता प्रदान कर रहा है। अमेरिका को उसे अब और पैसा नहीं देना चाहिए। साथ ही गैर नाटो सहयोगी का दर्जा भी उससे छीना जाना चाहिए।