- अमेरिका ने चीन से कहा है कि वह 72 घंटों के भीतर अपना ह्यूस्टन स्थित वाणिज्यदूतावास बंद करे
- चीन ने अमेरिका के इस कदम को एकतरफा करार देते हुए कहा है कि वह इस पर जरूरी कार्रवाई करेगा
- अमेरिका के कदम को 'राजनीतिक उकसावे वाला' करार देते हुए चीन ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है
वाशिंगटन/बीजिंग : अमेरिका और चीन के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। दोनों देशों के रिश्ते इस कदर खराब हो चुके हैं कि अब अमेरिका ने चीन से ह्यूस्टन स्थित अपने वाणिज्यदूतावास को बंद करने तक का निर्देश दे दिया गया है। इसे 72 घंटों के भीतर बंद करने और सभी कर्मचारियों को वापस बुलाने के लिए कहा गया है, जिसके बाद चीन ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका के इस कदम को 'राजनीतिक उकसावे वाला' करार देते हुए चीन ने कहा है कि इससे दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
चीन ने दी कार्रवाई की चेतावनी
अमेरिका का यह कदम ऐसे समय में आया है, जबकि चीन के साथ उसके कई मुद्दों पर मतभेद हैं और हाल के समय में ट्रेड वार, कोरोना वायरस, हॉन्कॉन्ग सहित कई मसलों पर दोनों देशों में तल्खी बढ़ी है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिका ने चीन से ह्यूस्टन स्थित उसके वाणिज्यदूतावास को बंद करने के लिए कहा है। अमेरिका का यह फैसला एकतरफा है और अगर तुरंत उसने इसे वापस नहीं लिया तो चीन इस पर जरूरी कार्रवाई करेगा।
'उकसावे वाला है अमेरिका का कदम'
चीन ने अमेरिका के इस कदम को 'राजनीतिक उकसावे वाला' करार देते हुए यह भी कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को कहा कि अमेरिका ने एक दिन पहले अचानक ही वाणिज्यदूतावास में सभी तरह की गतिविधियां बंद करने को कहा। उसने 72 घंटों के भीतर वाणिज्यदूतावास बंद करने और यहां से सभी स्टाफ को खाली करने के लिए कहा। चीन इस तरह के अपमानित करने वाले अनुचित कदम की निंदा करता है, जिससे चीन-अमेरिका के संबंध और खराब होंगे।
अमेरिका चीन संबंधों में तनाव और बढ़ने के आसार
इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में ह्यूस्टन स्थित चीनी वाणिज्यदूतावास में आग की खबरें भी आईं। प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा गया कि कुछ लोगों को कागजात जलाते देखा गया। अमेरिका-चीन के रिश्तों में बढ़ती तल्खी और अब अमेरिका द्वारा चीन से ह्यूस्टन स्थित वाणिज्यदूतावास को बंद किए जाने के बारे में कहे जाने के बाद जानकारों का कहना है कि अमेरिका के इस कदम के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव और बढ़ सकता है और यह अमेरिका-चीन कूटनीतिक संबंधों में 'भूकंप' की तरह साबित हो सकता है।