इस्लामाबाद : पाकिस्तान में धार्मिक नेता साद हुसैन रिजवी सहित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी (TLP) के कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई है, जिसके बाद पूरा पाकिस्तान जैसा सुलग पड़ा है। लाहौर में कई जगह हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बीच पुलिसकर्मियों पर हमले भी हुए हैं, जिसमें लगभग 100 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया है।
पाकिस्तान में बिगड़ते हालात के बीच फ्रांस ने अपने नागरिकों को पाकिस्तान छोड़ने की सलाह दी है। आखिर कौन है साद हुसैन रिजवी, जिसकी गिरफ्तारी से उबल रहा है पाकिस्तान और क्या है मामला?
क्या है मामला?
दरअसल, पाकिस्तान के कई शहरों में बीते कुछ महीनों से कट्टरपंथी संगठन फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वे फ्रांस के साथ पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों को तोड़ने की मांग कर रहे हैं। उनका विरोध फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका 'शार्ली हेब्दो' में बीते दिनों पैगम्बर मुहम्मद के विवादित कार्टून के प्रकाशन को लेकर है। फिर इस्लामिक आंतकवाद पर भी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बीते कुछ दिनों में कई बयान दिए हैं और कुछ कानूनी कदम उठाए हैं, जिससे पाकिस्तन का कट्टरपंथी तबका खफा है।
पाकिस्तान में फ्रांस के इन कदमों के खिलाफ जो विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, उनकी अगुवाई तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी कर रही है। साद हुसैन रिजवी के हाथों में इसी पार्टी की कमान है। इससे पहले खादिम हुसैन रिजवी के हाथों में इस पार्टी की थी, लेकिन बीते साल उनके आकस्मिक निधन के बाद साद रिजवी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। यह पार्टी पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को रद्द नहीं करने के लिए सरकार पर दबाव बनाती रही है।
पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन?
फ्रांस को लेकर ताजा विवाद में पार्टी की ओर से पाकिस्तान सरकार को 20 अप्रैल तक का समय फ्रांसीसी राजनयिक को देश से निकालने के लिए दिया गया था। इसके लिए पार्टी की ओर से सरकार के साथ फरवरी में एक चार सूत्री समझौता भी हुआ था। पार्टी की ओर से इस्लामाबाद मार्च की योजना भी बनाई गई थी। लेकिन प्रशासन ने सोमवार (12 अप्रैल) को ही उसे गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद से पाकिस्तान के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे हैं।
साद हुसैन रिजवी और टीएलपी नेताओं पर आतंकवाद विरोधी कानून और लोक व्यवस्था अध्यादेश के तहत केस दर्ज किया गया किया है। इसमें कहा गया है कि इन लोगों ने लोगों को पूरे देश में हिंसा और जाम के लिए उकसाया। लाउडस्पीकर से ऐलान किया गया तो सोशल मीडिया का भी सहारा लिया गया।