Bhojpuri Folk Singer Jang Bahadur Singh: भोजपुरी की मीठी और प्यारी बोली ना सिर्फ देश बल्कि दुनियाभर में मशहूर है। लेकिन इसके प्रचार प्रसार में भोजपुरी कलाकारों और लोक गायकों का अहम योगदान है। वैसे तो भोजपुरी पर अश्लीलता फैलाने का ठप्पा लग चुका है। लेकिन भोजपुरी में कई ऐसे बेहतरीन कंटेंट भी हैं जोकि तारीफ के काबिल है। इन्हीं में से एक है भोजपुरी लोकगायक 102 वर्षीय जंग बहादुर सिंह। भोजपुरी लोकगायक जंग बहादुर सिंह किसी अनसंग हीरो से कम नहीं उन्होंने अपनी गायकी से देश के वीर योद्धाओं की कहानी दुनिया के लोगों को सुनाई। जानते हैं जंग बहादुर सिंह के बारे में।
बिहार के रहने वाले हैं जंग बहादुर सिंह
102 वर्षीय भोजपुरी लोकगायक जंग बहादुर सिंह बिहार के सिवान जिले के रघुनाथपुर प्रखंड के कौसड़ गांव के रहने वाले हैं। जंग बहादुर सिंह अपनी गायकी के साथ ही पहलवानी के लिए भी मशहूर हैं। जंग बाहदुर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जब ये गाते थे तो लोगों को ऐसा लगता था कि वक्त ठहर सा गया है। लोग कहते हैं कि बिना माइक के ही जब जंग बहादुर गाते थे तो उनकी आवाज कोसों दूर जाती थी। मानो गले में साक्षात मां सरस्वती आकर बैठ गई हो।
गायक से पहले कुश्ती के पहलवान थे जंग बहादुर
गायकी में नाम हासिल करने के पहले जंग बहादुर सिंह पहलवानी करते थे। उन्होंने बड़े-बड़े नामी पहलवानों के साथ कुश्तियां कीं। जंग बहादुर सिंह की पोती का कहना है कि 102 साल की उम्र में आज भी वह हिम्मत नहीं हारते। जंग बहादुर सिंह का कहना है कि ‘मैं अभी भी लड़ सकता हूं’। कोयलांचल की धरती पर जंग बहादुर सिंह ने कई कुश्तियां लड़ी और जीत भी हासिल की।
ऐसे बने संगीत के दंगल के योद्धा
एक बार दुगोला के कार्यक्रम में जब तीन बड़े गायक मिलकर एक गायक को हरा रहे थे तब दर्शक के रूप में बैठे जंग बहादुर सिंह ने इसका विरोध किया। इस कार्यक्रम के बाद से ही जंग बहादुर ने गायक बनने की जिद्द पकड़ ली। उन्होंने संगीत में महारथ हासि की। वे महाभारत और रामायण के पात्रों में भीष्म, कर्ण, कुंती, द्रौपदी, सीता, राम , भरत और देशभक्तों में आजाद, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, हमीद, गांधी आदि के बारे में गाने लए। इनके बारे में गाकर ही जंग बहादुर सिंह ने भोजपुरी जनमानस के बीच लोकप्रियता हासिल की। जंगबाहदुर सिंह लोगों के बीच ऐसी पहचान बना चुके थे कि वे जिस कार्यक्रम में नहीं जाते थे वहां दर्शकों की भीड़ कम पड़ जाती थी।
जंग बहादुर सिंह का पारिवारिक जीवन
जंग बहादुर सिंह का पारिवारिक जीवन काफी संघर्ष भरा रहा और इसमें उतार-चढ़ाव भी आए। एक समय तो ऐसी स्थिति हो गई थी कि जंग बहादुर सिंह को समझ नहीं आया कि वह राग और सुर को संभालने या अपने परिवार को। 1970 में जंग बहादुर सिंह तब बुरी तरह से टूट गए जब उनके बेटे और बेटी की आक्सिमक मौत हो गई। इसके बाद पत्नी महेशा देवी एक दिन खाना बनाते हुए बुरी तरह से जल गई। इस बीच 1980 के आस-पास एक बेटे की कैंसर से मौत हो गई। इस तरह जंग बहादुर सिंह बुरी तरह टूट गए और उनका गाना लगभग पूरी तरह से पीछे छूटता चला गया। फिलहाल जंग बहादुर की उम्र 102 साल है। वे शारीरिक व मानसिक रूप से अस्वस्थ हो चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी वह गांव के मंदिर, शिवालयों और मठो में शिव चर्चा और भजन आदि करते रहते हैं। उनके दो बेटे हैं, बड़ा बेटा विदेश में रहता है और छोटा बेटा राजू परिवार संभालता है।