Bhopal: शहर में कोरोना से मरने वालो में से 75 प्रतिशत गैस पीड़ित: एनजीओ

भोपाल समाचार
भाषा
Updated Jun 23, 2020 | 15:07 IST

Gas Victims in Bhopal:  'भोपाल शहर में कोविड-19 से मरने वालों में से 75 प्रतिशत गैस पीड़ित हैं' ये दावा एक चार गैर सरकारी संगठनों यानि एनजीओ का है।

Death Representational Image
NGO ने सीएम को पत्र लिखा है उसमें कहा है कि भोपाल शहर में कोविड-19 से मरने वालो में से 75 फीसदी गैस पीड़ित हैं (प्रतीकात्मक तस्वीर) फोटो साभार-iStock 

भोपाल:  मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में साल 1984 में हुई दुनिया की सबसे भयंकर औद्योगिक गैस त्रासदी के पीड़ितों के हितों के लिए काम कर रहे चार गैर सरकारी संगठनों (NGO) ने दावा किया है कि भोपाल शहर में कोविड-19 से मरने वालों में से 75 प्रतिशत गैस पीड़ित हैं। भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा ने बताया, 'गैस पीड़ितों के बीच काम कर रहे चार संगठनों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह बताया है कि भोपाल शहर में कोविड-19 से मरने वालो में से 75 फीसदी गैस पीड़ित हैं और इस बीमारी का कहर गैस पीड़ितों पर सबसे ज्यादा बरपा है।'

उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से हुई बहुसंख्यक गैस पीड़ितों की मौतों से यह सिद्ध होता है कि 35 साल बाद गैस पीड़ितों का स्वास्थ्य इसलिए नाजुक है, क्योंकि उनके स्वास्थ्य को यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैस की वजह से स्थायी क्षति पहुंची है।

वहीं, गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी ने बताया, 'इसलिए हम मुख्यमंत्री से यह अपील करते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय में लंबित सुधार याचिका में गैस कांड की वजह से सभी 5,21,322 गैस पीड़ितों के स्थायी तौर पर क्षतिग्रस्त होने के सही आंकड़े रखे ताकि यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल से सभी के लिए उचित मुआवजा लिया जा सके।'

"गैस पीड़ितों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो कइयों की जान जा सकती है"

उन्होंने कहा कि गैस पीड़ित संगठन 21 मार्च और 23 अप्रैल को केंद्र एवं राज्य सरकार को पत्र देकर बता चुके हैं कि इस संक्रमण के चलते अगर गैस पीड़ितों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो कइयों की जान जा सकती है। भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खां ने बताया, 'शहर में हुई 60 मौतों पर आधारित यह विस्तृत रिपोर्ट स्पष्ट रूप से बताती है कि सिर्फ 60 साल से ऊपर के गैस पीड़ित ही इसकी चपेट में नहीं आए हैं। 38-59 वर्ष की आयु में मरने वाले व्यक्तियों में 85 प्रतिशत भोपाल के यूनियन कार्बाइड गैस कांड के पीड़ित हैं।'

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