मध्य प्रदेश में जिला पंचायतों के अध्यक्षों के चुनाव में बीजेपी का दबदबा कायम रहा। कुल 52 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों में से 51 के नतीजे सामने आ चुके हैं और बीजेपी ने 41 सीटों पर जीत का दावा किया है। शुक्रवार जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव संपन्न हुए। कई स्थानों पर विवाद भी हुआ।
गैर दलीय आधार पर हुए थे चुनाव
राज्य में पंचायतों के चुनाव गैर दलीय आधार पर हुए हैं। पहले जनपद पंचायत और अब जिला पंचायत के अध्यक्ष के लिए दोनों राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस अपना पूरा जोर लगाए हुए है। अब तक 40 नतीजे सामने आए हैं, जिनमें से भाजपा ने 35 स्थानों पर अपने समर्थकों की जीत का दावा किया है।भाजपा की ओर से दावा किया गया है कि अब तक 35 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव पर पार्टी के समर्थक जीते हैं। इनमें मन्दसौर, कटनी, दतिया, मुरैना, नरसिंहपुर, शहडोल, सागर, ग्वालियर, गुना, भिंड, शिवपुरी, बुरहानपुर शामिल हैं।
इसी तरह शाजापुर, मंडला, रायसेन, सिहोर, पन्ना, टीकमगढ़, रीवा, बड़वानी, निवाड़ी, विदिशा, सतना, उज्जैन, आगर, बैतूल, अशोकनगर, धार, खरगोन, उमरिया, खण्डवा, इंदौर, नीमच, सिवनी, श्योपुर, छतरपुर, हरदा से भाजपा समर्थित उम्मीदवारों के हिस्से में जीत आई है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भाजपा का रहा दबदबा
कई जगह बना तनाव का माहौल
जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन के दौरान कई स्थानों पर तनाव पूर्ण स्थिति देखने को मिली, क्योंकि सदस्यों की खरीदी के आरोप लगे थे। भोपाल में तो कांग्रेस के प्रमुख नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के अलावा अन्य नेता निर्वाचन स्थल के बाहर डेरा डाले रहे और इस दौरान भाजपा के विधायक रामेश्वर शर्मा जब एक सदस्य को अपनी कार से लेकर पहुंचे तो वहां इन नेताओं ने घेर लिया, काफी देर तक हंगामा भी हुआ और भाजपा नेता किसी तरह उस सदस्य को भीतर तक अपनी सुरक्षा में ले गए।
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