नई दिल्ली। भारत सरकार ने कोरोना वैक्सीनेशन की तारीखों का ऐलान कर दिया है। 16 जनवरी से हेल्थ स्टॉफ, फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी। लेकिन इन सबके बीच कोवैक्सीन पर सवाल उठा है। बता दें कि यह वैक्सीन अभी अपने तीसरे चरण में बावजूद कुछ खास शर्तों के साथ इमरजेंसी यूज की इजाजत दी गई है। मामला भोपाल से जुड़ा हुआ। कोवैक्सीन फेज तीन के ट्रायल में एक शख्स को टीका दिया जाता है और टीका देने के 9 दिन बाद उसकी मौत हो जाती है। इस तरह की खबर के आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि भारत बायोटेक की तरफ से सफाई भी आई है।
टीकाकरण के 9 दिन बाद वालंटियर की मौत
भारत बायोटेक का कहना है कि वालंटियर चरण III के परीक्षण में प्रतिभागी के रूप में स्वीकार किए जाने वाले सभी मानदंडों को पूरा कर चुका था और उसके बाद नामांकन किया गया। सभी साइट में स्वस्थ होने की सूचना दी गई थी, 7 दिन की खुराक के बाद के पोस्ट कॉल और कोई प्रभाव नहीं देखे गए / रिपोर्ट किए गए।साइट द्वारा खुराक और प्रारंभिक समीक्षाओं के नौ दिन बाद स्वयंसेवक का निधन हो गया, यह दर्शाता है कि मृत्यु अध्ययन डोजिंग से असंबंधित है। यदि स्वयंसेवक अध्ययन वैक्सीन या प्लेसिबो प्राप्त करता है तो हम इसकी पुष्टि नहीं कर सकते हैं।
गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल पुलिस को जो साइट प्राप्त हुई है, उसमें मृत्यु का संभावित कारण कार्डियोरैसपोरेटरी फेल होने के कारण संदिग्ध विषाक्तता के कारण है और मामला पुलिस जांच के तहत है। फिलहाल पुलिस जांच जारी है। जहां तक टीकाकरण का सवाल है तो अंतिम चरण के ट्रायल के दौरान जब टीका लगाया उसके सात दिन तक लगातार स्वास्थ्य निगरानी की गई और वालंटियर पूरी तरह स्वस्थ था।
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