भोपाल: कोरोना वायरस से जंग के बीच प्रवासी मजदूरों का मुद्दा पूरे देश में गर्म रहा। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों में काम की तलाश में जाते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण उपजे लॉकडाउन के बीच मजदूरों का रोजगार छिन गया ऐसे में भुखमरी की कगार पर पहुंचने के उन्होंने संक्रमण के डर से पैदल ही अपने गृह राज्यों की ओर कदम बढ़ा दिए। लाखों की संख्या में भीषण गर्मी में पैदल चल रहे मजदूरों की तस्वीरें देखकर देशवासियों के साथ-साथ दिल भी पसीज गया।
ऐसे में सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बसों के माध्यम से मजदूरों को उनके गृहराज्य वापस लाने का फैसला किया। उसके बाद ही लॉकडाउन के बीच देशभर के राजमार्गों पर दिख रहा संघर्ष कम हुआ। अपने राज्य के मजदूरों की बदहाली देखने के बाद राज्य सरकारों ने भविष्य में इस करह की स्थित से बचने के लिए बड़े कदम उठाने का फैसला किया है। सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रवासी मजदूर आयोग के गठन का फैसला किया।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब से उनके राज्य के किसी भी श्रमिक को अन्य राज्यों में नौकरी देने से पहले प्रवासी मजदूर आयोग की अनुमति लेनी होगी। योगी आदित्यनाथ के इस फैसले को देखते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसी तरह के आयोग के गठन करने की घोषणा अनलॉक 1 के आगाज से पहले प्रदेश की जनता को संबोधित करते हुए की।
मजदूरों का कराना होगा नामांकन
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए प्रवासी मजदूर आयोग बनाया जाएगा। हर प्रवासी मजदूर का कार्य के लिए बाहर राज्य जाने से पहले जिलाधिकारी के पास पंजीकरण कराया जाएगा, जिससे वह जहां भी जाए उसका ध्यान रखा जा सके।
मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मजदूरी के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में मजदूरी करने जाते हैं। प्रदेश के अन्य इलाकों में भी ऐसा ही है। अहमदनगर में रेल की चपेट में आने वाले मजदूर मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के थे। इस घटना के बाद आई तस्वीरों से पूरे देश के लोगों का दिल पसीज गया था।
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