Unique Story Of Bhopal: ये बहू नहीं हमारी बेटी है, ये वाक्य आपने अक्सर सुना होगा, लेकिन भोपाल के एक दंपती ने इसे सच में दिल से माना भी है। कोरोना के कारण बेटे की मौत होने के बाद इस बुजुर्ग दंपती ने अपनी बहू का जीवन संवारने का फैसला लिया और समाज की परवाह किए बिना उसका पुनर्विवाह करवाया। ऐसे सास—ससुर सच में कई लोगों के लिए मिसाल हैं। भोपाल के धार में एक सास—ससुर ने माता—पिता बनकर अपनी ही बहू का कन्यादान कर उसे जीवनदान दिया है।
धार निवासी प्रकाश तिवारी और उनकी पत्नी रागिनी तिवारी ने न सिर्फ अपनी बहू का घर फिर से बसाया, बल्कि शादी के तोहफे के रूप में उसे एक मकान भी दिया है। बीते साल तक प्रकाश तिवारी के घर में खुशियां ही खुशियां थीं। दोनों बेटे अच्छे से सेटल थे। दोनों की शादियां हो चुकी थीं। प्रकाश तिवारी का छोटा बेटा प्रियंक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। वह भोपाल में अच्छी नौकरी करता था। लेकिन इस हंसते—खेलते परिवार को कोरोना की बुरी नजर लग गई।
कोरोना संक्रमण के कारण प्रियंक की 34 साल की उम्र में मौत हो गई। प्रियंक के जाने के बाद पूरा परिवार सदमे में आ गया। माता—पिता के साथ ही प्रियंक की पत्नी ऋचा तिवारी के लिए यह बेहद बुरा दौर था। लेकिन प्रकाश तिवारी और रागिनी ने खुद को संभाला और बहू व पोती की जिंदगी फिर से संवारने का फैसला लिया। यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन इस दंपती ने ठान लिया था कि दो जिंदगियां हमेशा गम के साए में नहीं रह सकतीं। इसके बाद इस दंपती ने नागपुर के वरुण मिश्रा से ऋचा की शादी करवाई। तिवारी दंपती ने खुद ऋचा का कन्यादान किया और उसे उपहार में मकान दिया।
रागिनी तिवारी का कहना है कि, ऋचा और पोती के आगे पूरी जिंदगी है, जो अकेले काटना बहुत मुश्किल है। उन्होंने समाज के अन्य लोगों से भी अपील की है कि वे ऐसी पहल को बढ़ावा दें, जिससे समाज को सही दिशा मिल सके।
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