भोपाल। बाबूलाल चौरसिया पहले गोडसे भक्त हुआ करते थे। लेकिन बहुत वर्षों बाद उन्हें समझ में आया कि जिस शख्स में वो अपने लिए आदर्श खोजते थे वो उसके लायक नहीं था। बाबूलाल चौरसिया का मन बदला और उन्होंने खुद को गांधीवादी पार्टी कहने वाली कांग्रेस का दामन थाम लिया। लेकिन बात यहीं पर नहीं रुकती है। उन्हें मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई और यहीं से विवाद शुरू हो गया। मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता अरुण यादव ने आवाज बुलंद किया है।
कांग्रेस के अंदर ही विरोध
यह केवल मेरी राय नहीं है, यह देश भर के लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं का है। हम गांधी की विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे, हम गोडसे की विचारधारा के पक्षकार नहीं हैं। कांग्रेस गांधीवादी विचारधारा की पार्टी है। भारत में दो विचारधाराएं हैं - गांधी और गोडसे की। गांधी के हत्यारे गोडसे का मंदिर बनाना और उसकी पूजा करना और फिर उसे गांधी की विचारधारा के साथ मिलाना - मुझे यह सही नहीं लगा।
बाबूलाल चौरसिया, जो 2017 में ग्वालियर में नाथूराम गोडसे की मूर्ति की स्थापना के लिए एक कार्यक्रम में शामिल हुए, कल पूर्व सीएम कमलनाथ की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हुए।
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