Animal Husbandry Infrastructure Development Fund : आत्मानिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के तहत कोरोना वायरस की वजह से बिगड़ी देश की अर्थव्यवस्था को पटरी लाने के लिए सरकार जीतोड़ प्रयास कर रही है। इसको ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने गुरुवार को 15,000 करोड़ रुपए के पशुपालन इंफ्रास्ट्रक्टचर डवलप फंड (AHIDF) के इंप्लीमेंटेशन के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। इसका उद्देश्य डेयरी और मांस सेक्टर में देश की प्रोसेसिंग क्षमता को बढ़ाना है।
सिंह ने कहा कि बुनियादी ढांचा बनने के बाद लाखों किसान लाभान्वित होंगे और अधिक दूध का प्रोसेसिंग हो सकेगा। इससे डेयरी प्रोडक्ट्स का निर्यात भी बढ़ेगा जो वर्तमान में नाम मात्र का है। भारत को डेयरी सेक्टर को न्यूजीलैंड जैसे देशों के बराबर ले जाने की जरूरत है। बयान में कहा गया कि AHIDF के जरिए से स्वीकृत उपायों से 35 लाख लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार निर्माण करने में मदद मिलेगी।
बयान के मुताबिक मछली पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने गाइडलाइन जारी करते हुए कहा कि सरकार दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए नस्ल सुधार पर ध्यान दे रही है और प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। योजना के तहत केंद्र साल पात्र लाभार्थियों के लोन पर 03% ब्याज सहायता देगा। मूल लोन राशि पर 2 साल की मोहलत अवधि होगी और उसके बाद लोन को 06 साल में लौटाना होगा।
गाइडलाइंस के अनुसार, AHIDF के तहत आने वाली परियोजनाएं, खास बैंकों की तरफ से अनुमानित लागत का 90% तक लोन प्राप्त करने के पात्र होंगी। केंद्र इन ऋणों पर 03% की ब्याज सहायता देगा। केंद्र सरकार नाबार्ड द्वारा प्रबंधित किए जाने वाले 750 करोड़ रुपए के क्रेडिट गारंटी फंड की भी स्थापना करेगी। बयान में कहा गया है कि उन स्वीकृत परियोजनाओं को लोन गारंटी प्रदान की जाएगी जो MSME परिभाषित सीमा के दायरे में आते हैं।
वर्तमान में भारत 18.8 करोड़ टन दूध का उत्पादन कर रहा है। सरकार इस उत्पादन स्तर को वर्ष 2024 तक 33 करोड़ टन तक पहुंचाने की तैयारी कर रही है। अभी केवल 20-25% दूध का प्रोसेसिंग किया जा रहा है, जिसे सरकार बढ़ाकर 40% करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान, डेयरी किसान उपभोक्ताओं को दूध की निरंतर आपूर्ति करते रह सके।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि इसका उद्देश्य व्यक्तिगत उद्यमियों, प्राइवेट कंपनियों, MSME, किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और धारा 8 के तहत आने वाली कंपनियों द्वारा डेयरी और मांस प्रोसेसिंग और बुनियादी ढांचे की स्थापना के साथ-साथ पशु चारा प्लांट्स के लिए निवेश को प्रोत्साहित करना है।
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