44 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन 2027 तक होंगी तैयार, बिना इंजन वाली देश की पहली स्व-चालित ट्रेन

बिजनेस
आईएएनएस
Updated Jul 28, 2020 | 19:23 IST

Vande Bharat Express trains : चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने एक आंतरिक आकलन में कहा है कि वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन 2027 से पहले पूरा नहीं हो सकता।

44 Vande Bharat Express trains to be ready by 2027, Inida's first self-propelled train without engine
44 वंदे भारत एक्सप्रेस 2027 तक होंगी तैयार 
मुख्य बातें
  • ट्रेन सेट के प्रोटोटाइप बनाने के बाद परीक्षण करने में छह महीने और लगेंगे
  • इसके बाद वंदे भारत रेक का उत्पादन शुरू होगा
  • हर महीने 16 डिब्बों वाली एक रेक उपलब्ध करा सकेगा

Vande Bharat Express trains : भले ही भारतीय रेल ने 2021-22 तक 44 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेट या ट्रेन 18 ट्रेन सेट का उत्पादन पूरा करने का दावा किया है, लेकिन चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने एक आंतरिक आकलन में कहा है कि यह 2027 से पहले पूरा नहीं हो सकता। आईसीएफ के मुख्य योजना अभियंता ने 14 जुलाई को अपने पत्र में मैकेनिकल इंजीनियरिंग (प्रोडक्शन यूनिट) के निदेशक से कहा है, व्यावसायिक सेवाओं के रैक बनाने के लिए रेल सेटों के प्रोटोटाइप बनाने में कम से कम 28 महीने का समय लगेगा।

इस पत्र की एक प्रति आईएएनएस के पास है। आईसीएफ के योजना अभियंता ने यह भी दावा किया कि ट्रेन सेट के प्रोटोटाइप बनाने के बाद परीक्षण करने में छह महीने और लगेंगे। पत्र में आगे कहा गया है कि इसके बाद वंदे भारत रेक का उत्पादन शुरू होगा और यह हर महीने 16 डिब्बों वाली एक रेक उपलब्ध करा सकेगा। 44 रैक के लिए आईसीएफ को 44 ट्रेन सेट के निर्माण में साढ़े तीन साल और लगेंगे। इस तरह देखें तो ट्रेन सेट तैयार होने की अनुमानित तारीख दिसंबर, 2027 है।

आईसीएफ के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने का अनुरोध करते हुए आईएएनएस को बताया कि अभी तक कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं है कि हम कब वंदे भारत रैक देने की स्थिति में होंगे। उन्होंने कहा, पहले निविदा को अंतिम रूप दिया जाना है और उसके बाद ही वंदे भारत रैक की आपूर्ति करने के लिए तिथि तय होगी।

चेन्नई स्थित आईसीएफ ने ट्रेन 18 के लिए इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन किट खरीदने के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं, जो बिना इंजन वाली देश की पहली स्व-चालित ट्रेन है। ट्रेन 18 का निर्माण आईसीएफ द्वारा किया गया था, जिसका स्वामित्व भारतीय रेल के पास है, जिसमें 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री लगी है। इन्हीं ट्रेनों को बाद में नया नाम वंदे भारत ट्रेन दिया गया।
 

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