सेहत को दुरुस्त रखने के लिए दवाओं की जरूरत होती है। खासतौर से आवश्यक दवाओं की जरूरत तो हर एक को होती है। हर कोई चाहता है कि आवश्यक दवाओं की कीमतों में इजाफा ना हो। लेकिन एक अप्रैल से करीब 800 जरूरत वाली दवाओं में करीब 10 फीसद की वृद्धि हो सकती है। इसका अर्थ यह है कि हम सबको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।
कीमतों में करीब 10 फीसद का इजाफा
हाई ब्लड प्रेशर, बुखार, हृदय रोग, त्वचा रोग के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर महंगाई की मार पड़ने वाली है। अप्रैल से दर्द निवारक और एंटी बायोटिक फिनाइटोइन सोडियम, मेट्रोनिडाजोल जैसी जरूरी दवाओं पर भी असर दिखेगा। केंद्र सरकार ने शेड्यूल ड्रग्स की कीमतों में वृद्धि को हरी झंडी दिखा दी है। NPPA का कहना है कि इन दवाओं के दाम थोक महंगाई दर (WPI) के आधार पर की गई है। कोरोना महामारी के बाद से फार्मा इंडस्ट्री दवाओं की कीमत बढ़ाए जाने की लगातार मांग कर रही थी।
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फार्मा इंडस्ट्री की थी मांग
एनपीपीए ने शेड्यूल ड्रग्स के लिए कीमतों में 10.7 प्रतिशत इजाफे को हरी झंडी दे दी है। बता दें कि शेड्यूल ड्रग्स में आवश्यक दवाएं शामिल हैं और इनकी कीमतों पर नियंत्रण होता है। इनके दाम बगैर अनुमति नहीं बढ़ाए जा सकते हैं। जिन दवाओं के दाम बढ़ने जा रहे हैं, उनमें कोरोना के मध्यम से लेकर गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी शामिल हैं।
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