GDP data first quarter : जीडीपी आंकड़े को देखकर अर्थव्यवस्था के एक्सपर्ट्स ने जताई ये आशंका

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Updated Sep 01, 2020 | 11:02 IST

चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल-जून के दौरान अथर्व्यवस्था में 23.9% की अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट आई है। इस के बाद विशेषज्ञ ने ये बात कही।

After release GDP figures for current financial year 2020-21, economy experts expressed this apprehension
जीडीपी डेटा जारी होने के बाद एक्सपर्ट्स ने प्रतिक्रिया दी  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • जीडीपी में अप्रैल-जून के दौरान - 23.9% की अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट आई है
  • एक्सपर्ट्स ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से देश की पहले से नरमी पड़ रही अर्थव्यवस्था पर और बुरा असर पड़ा है
  • एक्सपर्ट्स ने कहा कि जब संशोधित आंकड़ा आएगा, उसमें एमएसएमई और कम संगठित क्षेत्र के आने वाले आंकड़ों से स्थिति और खराब दिख सकती है

नई दिल्ली : पहली तिमाही की गिरावट को अनुमान के अनुकूल बताते हुए विशेषज्ञों ने अुनमान लगाया है कोविड-19 महामारी के प्रभाव की वजह से चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है उपभाग और मांग में तेजी के लिए महामारी पर काबू पाना महत्वपूर्ण है। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से देश की पहले से नरमी पड़ रही अर्थव्यवस्था पर और बुरा असर पड़ा है। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल-जून के दौरान अथर्व्यवस्था में - 23.9% की अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट आई है।

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अनुमान के अनुसार ‘लॉकडाउन’ से प्रभावित तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) और जीवीए (सकल मूल्य वर्धन) में गिरावट आई है। हमने 25 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया था और आंकड़ा उसी के अनुरूप है। इतना ही नहीं जब बाद में संशोधित आंकड़ा आएगा, उसमें एमएसएमई और कम संगठित क्षेत्र के आने वाले आंकड़ों से स्थिति और खराब दिख सकती है। उन्होंने कहा कि संक्रमण अभी बढ़ रहा है और कुछ राज्य स्थानीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ बढ़ा रहे हैं, ऐसे में हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी।

एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के समूह सीईओ शंकर चक्रबर्ती ने कहा कि दूसरी तिमाही में भी जीडीपी में गिरावट आएगी लेकिन वह अपेक्षाकृत कम होगी। पुनरूद्धार की धीमी गति को देखते हुए कुल मिलाकर 2020-21 में 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। 

सरकार ने कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये 25 मार्च से देशव्यापी ‘लॉडाउन’ लगाया। केंद्र ने 20 अप्रैल के बाद से ‘लॉकडाउन’ में ढील देना शुरू किया। ज्यादातर रेटिंग एजेंसियो और अर्थशास्त्रियों ने 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में गिरावट का अनुमान जताया था।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार सोमवार को 78,512 नये मामले आने के साथ देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 36 लाख को पार कर गयी है। हालांकि इसमें 27,74,801 लोग ठीक हुए हैं। वहीं संक्रमण के कारण 24 घंटे में 971 लोगों की मौत से मरने वालों की संख्या 64,469 पहुंच गयी है।

एक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी नवीन कुलकर्णी ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 की बचे हुए महीनों में बाजार जीडीपी में सुधार की उम्मीद कर रहा है। उन्होंने कहा कि हालांकि पुनरूद्धार इतना मजबूत नहीं होगा जो पहली तिमाही में गिरावट की भरपाई कर ले। तुलनात्मक आधार से 2021-22 में आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी।

डीबीएस बैंक की अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि सालाना आधार पर वद्धि अनुमान के नीचे जाने के जोखिम के अलावा बाजार मूल्य पर वृद्धि दर में गिरावट से कंपनियों के लाभ पर असर पड़ेगा। साथ ही कर्ज/घाटे का स्तर बढ़ेगा। केंद्रीय बैंक चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भी नीतिगत दर के मामले में नरम रख सकता है।

डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री अरूण सिंह ने कहा कि सरकार के वित्त को लेकर बाधा, निवेश गतिविधियों में गिरावट, कंपनी और ग्राहक दोनों स्तरों पर चूक की संभावना और दिवालियापन से 2020-21 में जीडीपी वृद्धि नीचे आएगी।

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