नई दिल्ली: प्राइवेट सेक्टर के सभी बैंकों को अब सरकार से संबंधित बैंकिंग लेनदेन जैसे कि टैक्स और पेंशन भुगतान और छोटी बचत योजनाओं का संचालन करने की अनुमति होगी, वित्त मंत्रालय ने इसकी घोषणा की है। अब छोटे बैंक भी ऐसा कर पाएंगे और उसके राजस्व में बढ़ोतरी होगी। फिलहाल प्राइवेट सेक्टर के कुछ बड़े बैंकों को ही सरकार से जुड़े कामकाज करने की अनुमति है। सरकार के इस फैसले से बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा और दक्षता में सुधार हो सकती है।
वर्तमान में, सभी सरकारी बैंक और तीन प्राइवेट सेक्टर के बैंक- एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक ही टैक्स और अन्य राजस्व भुगतान सुविधाओं, पेंशन और छोटी बचत योजनाओं से संबंधित लेनदेन का ऑफर कर सकते हैं। हालांकि, इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि निजी बचत प्रमाणपत्र (NSC) जैसी छोटी बचत योजना को प्राइवेट सेक्टर के ऋणदाताओं के लिए खुला रखा गया है या नहीं। एक आधिकारिक बयान के अनुसार इस कदम से ग्राहकों के लिए सुविधा बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं के स्टेंडर्ड में दक्षता बढ़ेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्विटर पर लिखा है कि प्राइवेट बैंकों को सरकार से जुड़े कामकाज और योजनाओं को क्रियान्वित करने पर लगी रोक हटा ली गई है। अब सभी बैंक इसमें शामिल हो सकते हैं। प्राइवेट बैंक अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, सरकार के सामाजिक क्षेत्र में उठाए गए कदमों और ग्राहकों की सुविधा बेहतर बनाने में समान रूप से भागीदार हो सकते हैं। बयान के अनुसार अत्याधुनिक टैक्नोलॉजी को अपनाने और उसके उपयोग तथा नवप्रवर्तन के मामले में अगुवा रहने वाले प्राइवेट सेक्टर के बैंक अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और सरकार के सामाजिक क्षेत्र में उठाए गए कदमों को लागू करने में समान रूप से भागीदार होंगे।
इसमें कहा गया है कि पाबंदी हटाए जाने के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए सरकारी बैंकों के अलावा प्राइवेट सेक्टर के बैंकों को सरकारी कामकाज सौंपने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है। सरकार ने इस निर्णय के बारे में आरबीआई को सूचना दे दी है।
इस घोषणा के बाद बुधवार को निजी बैंकों के शेयरों में तेजी देखी गई। एचडीएफसी बैंक को 5 फीसदी, एक्सिस बैंक को 4.6 फीसदी और आईसीआईसीआई बैंक को 4.4 फीसदी की बढ़त मिली है।
सरकार पहले ही 2021-22 के बजट में आईडीबीआई के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा कर चुकी है। सरकार ने पिछले साल 10 सरकारी बैंकों का एकीकरण किया। इससे सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 पर आ गई जो मार्च 2017 में 27 थी।
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