अक्टूबर से 'भारत' ब्रांड के नाम से बिकेंगे यूरिया, डीएपी जैसे सब्सिडी वाले सभी उर्वरक

बिजनेस
भाषा
Updated Aug 27, 2022 | 23:18 IST

भारत सरकार अक्टूबर से यूरिया और डीएपी जैसे सब्सिडी वाले सभी उर्वरकों 'भारत' नाम के ब्रांड से बेचेगी। उर्वरक कंपनियां बोरी के एक-तिहाई हिस्से पर अपना नाम, ब्रांड, प्रतीक (लोगो) और अन्य जरूरी सूचनाएं दे सकेंगी।

All subsidized fertilizers like urea, DAP will be sold under the brand name of 'Bharat' from October
'भारत' नाम बिकेंगे सब्सिडी वाले उर्वरक (तस्वीर सौजन्य-istock) 

नई दिल्ली: यूरिया और डीएपी जैसे सब्सिडी वाले सभी उर्वरकों की बिक्री सरकार अक्टूबर से 'भारत' नाम के एकल ब्रांड के तहत करेगी। उर्वरकों को समय पर किसानों को उपलब्ध कराने और मालढुलाई सब्सिडी की लागत घटाने के लिए सरकार ऐसा करने जा रही है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को प्रधानमंत्री भारतीय जनउर्वरक परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत 'एक राष्ट्र एक उर्वरक' पहल की शुरुआत करते हुए इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि अक्टूबर से सब्सिडी वाले सभी उर्वरकों को 'भारत' ब्रांड के तहत ही बेचा जा सकेगा।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उर्वरक कंपनियां बोरी के एक-तिहाई हिस्से पर अपना नाम, ब्रांड, प्रतीक (लोगो) और अन्य जरूरी सूचनाएं दे सकेंगी। लेकिन उर्वरक की बोरी के दो-तिहाई हिस्से पर भारत ब्रांड और पीएमबीजेपी का लोगो लगाना होगा। भले ही यह व्यवस्था अक्टूबर से शुरू हो जाएगी लेकिन उर्वरक कंपनियों को अपना मौजूदा स्टॉक बेचने के लिए दिसंबर के अंत तक का समय दिया गया है। सरकार ने पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में 1.62 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी दी थी। पिछले पांच-महीनों में उर्वरकों के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में सरकार पर उर्वरक सब्सिडी का बोझ बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये हो जाने की आशंका जताई गई है।

मांडविया ने भारत ब्रांड के तहत सभी सब्सिडी वाले उर्वरकों की बिक्री किए जाने के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि सरकार यूरिया के खुदरा मूल्य के 80 प्रतिशत की सब्सिडी देती है। इसी तरह डीएपी की कीमत का 65 प्रतिशत, एनपीके की कीमत का 55 प्रतिशत और पोटाश की कीमत का 31 प्रतिशत सरकार सब्सिडी के तौर पर देती है। इसके अलावा उर्वरकों की ढुलाई पर भी सालाना 6,000-9,000 करोड़ रुपये लग जाते हैं।

उन्होंने कहा कि फिलहाल कंपनियां अलग-अलग नाम से ये उर्वरक बेचती हैं लेकिन इन्हें एक से दूसरे राज्य में भेजने पर न सिर्फ ढुलाई लागत बढ़ती है बल्कि किसानों को समय पर उपलब्ध कराने में भी समस्या आती है। इसी परेशानी को दूर करने के लिए अब एक ब्रांड के तहत सब्सिडी वाली उर्वरक बनाई जाएगी।

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