नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एच-1 बी वीजा को सस्पेंड करने के बारे में विचार कर रहे हैं और उनके इस विचार से गूगल और एप्पल जैसी कंपनियों में हड़कंप है। डोनाल्ड ट्रंप के इस तरह के कदम के उठाए जाने से पहले एच-1 बी वीजा की अहमियत को समझना जरूरी है। दरअसल इसके तहत यूएस में काम कर रही टेक कंपनियों को यह सुविधा दी जाती है कि वो यूएस के बाहर की मेधा को अपने यहां काम करने का मौका दें। इसके अमेरिकी एंप्यालय दुनिया भर से ग्रेजएट स्तर के कर्मचारियों को खास अवधि के लिए हायर करते हैं। इसका फायदा आमतौर पर आईटी कंपनियों, फाइनेंस, साइंस और इंजीनियरिग जगत से जुड़े उद्योग उठाते हैं।
H-1B वीजा को सस्पेंड करने पर विचार
इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबित अगर ट्रंप सरकार इस तरह का कोई फैसला करती है तो इसका असर न केवल आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों पर पड़ेगा बल्कि इस फील्ड में काम कर रहे लोग भी प्रभावित होंगे। अगर आसान भाषा में समझें तो लोगों की नौकरियां जाएंगी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक एच 1 बी वीजा में प्रस्तावित निलंबन को नए फिस्कल वर्ष यानि 1 अक्टूबर 2020 से लागू किया जा सकता है। यह वो समय होता है जब वीजा की वैधता को रिन्यू किया जाता है।
भारतीय कामागारों पर असर पड़ने की संभावना कम
हालांकि यूएस प्रशासन से जुड़े एक शख्स ने बिना नाम का जिक्र करते हुए बताया कि इसती वजह से ऐसे वीजा होल्डर्स जो पहले से यूएस में हैं उन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। यूएससीआईएस के मुताबिक एच 1 बी वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय है। हर वर्ष करीब 85 हजार वीजा जारी किए जाते हैं जिसमें दो तिहाई हिस्सेदारी भारतीयों की होती है।एक सच यह भी है कि एच 1 बी वीजा से जितना फायदा भारतीयों को है उससे कहीं ज्यादा फायदा यूएस बेस्ड कंपनियों को हैं। 2019 में टॉप 10 में सात कंपनियां जिन्होंने इसका फायदा उठाया हो यूएस में थीं।
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