नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेन्स के जरिए आज (18 जून) 41 कोयला ब्लॉक की नीलामी के लिए प्रक्रिया की शुरुआत की। अपने संबोधन में खनन क्षेत्र में आत्म-निर्भरता हासिल करने के अपने दृष्टिकोण को रखा। साथ ही उन्होंने कहा कि 130 करोड़ भारतवासियों का संकल्प है कि हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना ही है। Self Reliant India की जो Journey 130 करोड़ भारतीयों ने शुरु की है, उसमें आप सभी उसके बहुत बड़े भागीदार हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कॉमर्शियल कोयला खनन के लिए आज जो ये नीलामी की शुरुआत हो रही है वो हर हितधारकों के लिए फायदेमंद स्थिति है।इंडस्ट्रीज को, आपको, अपने बिजनेस, अपने निवेश के लिए अब नए साधन मिलेंगे, नया मार्केट मिलेगा। हमने लक्ष्य रखा है कि साल 2030 तक करीब 100 मिलियन टन कोयले को गैसीफाई किया जाए। मुझे बताया गया है कि इसके लिए 4 प्रोजेक्ट्स की पहचान हो चुकी है और इन पर करीब-करीब 20 हजार करोड़ रुपए निवेश किए जाएंगे। इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा।
पीएम ने कहा कि आज भारत के उद्योग जगत को,व्यापारी जगत को, सर्विस सेक्टर लीड करने वाले लोगों के लिए इतिहास को बदलने का मौका आया है। हमें इस अवसर को छोड़ना नहीं। आए भारत को आत्मनिर्भर बनाए। मामला तो कोयला का है हीरे के सपना देखकर चलना है। देश में 16 आकांक्षात्मक जिले ऐसे हैं, जहां कोयले के बड़े-बड़े भंडार हैं। लेकिन इनका लाभ वहां के लोगों को उतना नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था।यहां से बड़ी संख्या में हमारे साथी दूर, बड़े शहरों में रोजगार के लिए प्रवास करते हैं। कोयला निकालने से लेकर परिवहन तक को बेहतर बनाने के लिए जो आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा, उससे भी रोजगार के अवसर बनेंगे, वहां रहने वालों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
पीएम मोदी ने कहा कि आज हम सिर्फ कॉमर्शियल कोयला खनन के लिए नीलामी ही लॉन्च नहीं कर रहे हैं, बल्कि कोयला क्षेत्र को दशकों के लॉकडाउन से भी बाहर निकाल रहे हैं। ये Auction ऐसे समय में हो रहे हैं, जब भारत में Business Activity तेजी से नॉर्मल हो रही है। Consumption और Demand बड़ी तेज़ी से pre-COVID level की तरफ आ रही है। ऐसे में इस नई शुरुआत के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता। पीएम मोदी ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी अब अपनी स्पीड पकड़ने लगी है। इस बार खरीफ फसल का एरिया पिछले साल के मुकाबले 13 प्रतिशत से ज्यादा है। इस बार गेहूं का उत्पादन और procurement दोनों बड़ा है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत कोरोना से लड़ेगा भी और आगे भी बढ़ेगा। आपदा कितनी ही बड़ी क्यों न हो, भारत उसे अवसर में बदलने के लिए कृत-संकल्पित है। भारत इस बड़ी आपदा को अवसर में बदलेगा। कोरोना के इस संकट ने भारत को आत्मनिर्भर भारत होने का सबक दिया है।
पीएम मोदी ने कहा कि Coal Reforms करते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि Environment की रक्षा का भारत का कमिटमेंट कहीं से भी कमजोर न पड़े। Coal से Gas बनाने के लिए अब बेहतर और आधुनिक तकनीक आ पाएगी, कोल गैसीफिकेशन जैसे कदमों से Environment की भी रक्षा होगी।
पीएम मोदी ने कहा कि एक मजबूत माइनिंग और मिनरल सेक्टर के बिना Self Reliance संभव नहीं है। क्योंकि Minerals और Mining हमारी Economy के Important Pillars हैं। इन रिफॉर्म्स के बाद अब Coal Production, पूरा Coal Sector भी एक प्रकार से आत्मनिर्भर हो पाएगा। पूर्वी भारत और मध्य भारत की एक बड़ी आबादी को उसके घर के पास ही बेहतर रोजगार के अवसर उपबल्ध कराने में कॉमर्शियल माइनिंग के हमारे ये कदम इच्छित परिणाम लाएंगे। हमने वहां के गरीबों को भला करना है।
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 के बाद इस स्थिति को बदलने के लिए एक के बाद एक कई कदम उठाए गए। जिस कोल लिंकेज की बात कोई सोच नहीं सकता था, वो हमने करके दिखाया। ऐसे कदमों के कारण Coal Sector को मजबूती भी मिली। अब भारत ने Coal और Mining के सेक्टर को competition, capital, Participation और Technology के लिए पूरी तरह से खोलने का बहुत बड़ा फैसला लिया है।
पीएम मोदी ने कहा कि जो देश Coal Reserve के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश हो, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक हो, वो देश Coal का Export नहीं करता बल्कि वो देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Coal Importer है। उन्होंने कहा कि महीने भर के भीतर ही, हर घोषणा, हर रिफॉर्म्स, चाहे वो Agriculture Sector में हो, चाहे MSMEs के सेक्टर में हो या फिर अब Coal और Mining के Sector में हो, तेजी से जमीन पर उतर रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि जब हम दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक में से एक हैं, तो हम सबसे बड़े Export क्यों नहीं हो सकते। यही सवाल करोड़ों भारतीयों के मन में उठता रहा है। देश के Coal Sector को Captive और Non-captive के जाल में उलझाकर रखा गया था।
पीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत यानि भारत Import पर अपनी निर्भरता कम करेगा। आत्मनिर्भर भारत यानि भारत Import पर खर्च होने वाली लाखों करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा बचाएगा और देश के गरीबों के कल्याण में लगाएगा।
जिसे आज हम इंपोर्ट करते हैं, कल को ये बात मैं बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं. आज जो हम इंपोर्ट करेंगे कल को उसी के सबसे बड़े एक्सपोर्टर बनेंगे इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ये आवश्यक है कि हम एक एक सेक्टर, प्रोडक्ट को पकड़कर काम करें। एक-एक क्षेत्र को चुनकर भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगे। आज का यह कार्यक्रम इसी सोच को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये कार्यक्रम सिर्फ कोल माइनिंग से जुड़े इवेंट से नहीं है बल्कि यह 130 करोड़ की जनसंख्या को रिलाइज करने का एक कदम है। यह लाखों युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने का कमद है।
ये खदान 22.5 करोड़ टन उत्पादन की क्षमता रखते हैं। इसके आधार पर सरकार का कहना है कि ये खदान देश में 2025-26 तक अनुमानित कुल कोयला उत्पादन में करीब 15% का योगदान देंगे। इससे सीधे एवं परोक्ष रूप से 2.8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इसमें सीधे तौर पर करीब 70,000 लोगों को रोजगाार मिलने की उम्मीद है।
कोयला मंत्रालय ने कहा कि इन कोयला ब्लॉक की कॉमर्शियल खनन में अगले 5 से 7 साल में करीब 33,000 करोड़ रुपए का निवेश अनुमानित है। ये ब्लॉक राज्य सरकारों को सालाना 20,000 करोड़ रुपए का राजस्व देंगे। खनन क्षेत्र बिजली, इस्पात, एल्युमीनियम, स्पांजी आयर जैसे कई बुनियादी उद्योगों के लिए कच्चे माल का मुख्य स्रोत है। मंत्रालय ने कहा कि कोयला खनन क्षेत्र में नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत की गई घोषणाओं का हिस्सा है।
कोयला मंत्रालय के अनुसार कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कोयला मंत्रालय उद्योग मंडल फिक्की के साथ मिलकर 41 कोयला खदानें की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। मंत्रालय ने कहा कि यह नीलामी प्रक्रिया कोयला क्षेत्र को कॉमर्शियल खनन के लिए खोलने की एक शुरुआत है। इससे देश ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्म निर्भर होगा और औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।
कैबिनेट की बैठक में हुआ था फैसला
सीसीईए द्वारा मंजूर तौर-तरीके के अनुसार बोली मानदंड राजस्व हिस्सेदारी पर आधारित होगा। बोलीदाताओं को सरकार को देय राजस्व में प्रतिशत हिस्सेदारी के भुगतान के आधार पर बोली लगानी होगी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया था। सरकार ने पिछले महीने राजस्व हिस्सेदारी आधार पर वाणिज्यिक खनन के तौर-तरीकों को मंजूरी दी थी।
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