अजीम प्रेमजी जन्मदिन विशेष: साबुन, जूते बनाने से लेकर सॉफ्टवेयर कंपनी विप्रो तक का सफर

भारतीय उद्योगपति अजीम हाशिम प्रेमजी परोपकारी व्यक्ति के तौर पर मशहूर है। उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर बिजनेस करने लगे और सॉफ्टवेयर कंपनी के जरिए दुनिया के सबसे अमीर आदमियों में शुमार हो गए।

Azim Premji Birthday Special: From making soap, shoes to software company Wipro
अजीम हाशिम प्रेमजी 
मुख्य बातें
  • अजीम प्रेमजी पिता के निधन के बाद पढ़ाई छोड़कर पिता के कारोबार संभालने लगे।
  • वे साबुन, जूते, लाइटबल्ब, हाइड्रोलिक सिलेंडर जैसे प्रोडक्ट का उत्पादन करने लगे।
  • बाद में उन्होंने सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में किस्मत अजमाई और दुनिया में छा गए।

अजीम हाशिम प्रेमजी भारतीय बिजनेस टाइकून, निवेशक, इंजीनियर और परोपकारी व्यक्ति हैं, जो सॉफ्टवेयर कंपनी विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन रहे। फिलहाल वे प्रेमजी बोर्ड के गैर-कार्यकारी सदस्य और फाउंडर चेयरमैन बने हुए हैं। अजीम प्रेमजी का आज जन्मदिन है। वे 76 बरस के हो गए हैं। उनका जन्म 24 जुलाई 1945 को बंबई में हुआ था जिसे वर्तमान में मुंबई कहते हैं। उनके नेतृत्व में विप्रो ने इतनी तरक्की की कि 21वीं सदी तक प्रेमजी सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में वर्ल्ड लीडर हो गए। उनकी गिनती दुनिया के अमीर व्यक्तियों में होने लगी।

प्रेम जी मुस्लिम परिवार से आते हैं। 1947 में देश के विभाजन के बाद भी उनका परिवार भारत में ही रहना पसंद किया। प्रेमजी का जब जन्म हुआ तब उनके पिता ने वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड की स्थापना की। प्रेमजी के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गए लेकिन  1966 में उनके पिता का देहांत हो गया। वे बीच में ही पढ़ाई स्थगित कर पिता के बिजनेस को संभालने के लिए भारत लौट आए और कंज्यूमर प्रोडक्ट के निर्माण में लग गए। साबुन, जूते, लाइटबल्ब, हाइड्रोलिक सिलेंडर जैसे प्रोडक्ट का उत्पादन करने लगे। उन्होंने 1999 में डिस्टेंस एजुकेशन सिस्टम के माध्यम से आधिकारिक तौर पर स्टैनफोर्ड से अपनी डिग्री पूरी की।

प्रेमजी ने 1977 में कंपनी का नाम बदलकर विप्रो (Wipro) रख  दिया और 1979 में जब भारत सरकार ने आईबीएम को देश छोड़ने के लिए कहा, तो उन्होंने कंपनी को कंप्यूटर बिजनेस की ओर ले जाना शुरू कर दिया। विप्रो ने भारत में बिक्री के लिए कंप्यूटर हार्डवेयर बनाने के लिए 1980 के दशक में कई सफल इंटरनेशनल पार्टनरशिप कीं।

बाद में सॉफ्टवेयर का दौर आया। अपनी कंपनी को और आकर्षक बनाया। सर्वश्रेष्ठ लोगों को काम पर रखा। सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के तौर पर उनकी कंपनी ने बेहतरीन काम किया। अमेरिका की तुलना में अपने प्रोडक्ट की कीमत काफी कम रखा। उनकी कंपनी विप्रो ने अमेरिका को कस्टम सॉफ्टवेयर निर्यात करने लगी। जिससे उनका कारोबार ग्लोबल स्तर पर बढ़ने लगा। शेयर बाजार 1990 के दशक के अंत में विप्रो के शेयरों के दाम आसमान छूने लगे और प्रेमजी दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन में से एक बन गए। कंपनी इस स्थिति को उन्होंने बरकरार रखा। 

प्रेमजी संपत्ति के मामले में दुनिया में मशहूर हैं ही लेकिन वे दानवीर और परोपकारी भी हैं। उन्होंने 2001 में गैर-लाभकारी अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की। उन्होंने पूरे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभिक शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए फाउंडेशन के जरिये 16000 से अधिक स्कूलों में कंप्यूटर सहायता प्राप्त शिक्षा का विस्तार करने में मदद की। 
 

Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर