वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार के राजकोषीय घाटे, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4% रहेगा। अप्रैल-नवंबर 2021 की अवधि में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा सालाना आधार पर 35.3 प्रतिशत घटकर 6.96 लाख करोड़ रुपये रहा, जो चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान का 46.2 प्रतिशत था, क्योंकि कर संग्रह मजबूत रहा और खर्च उसकी तुलना में कम रहा।
राज्यों को फिस्कल डेफिसिट 4 फीसद रखने की अनुमति
2021-22 के बजट में पूरे वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 15.07 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 6.8 प्रतिशत था, जिसे संशोधित कर 6.9 प्रतिशत कर दिया गया है। बजट में 2025-26 तक सकल घरेलू उत्पाद का 4.5% राजकोषीय घाटा प्रस्तावित किया गया है। 2022-23 में राज्यों के लिए जीएसडीपी के 4% के राजकोषीय घाटे की अनुमति दी जाएगी।
सरकारी खर्च की तुलना में कर संग्रह में बढ़ोतरी
अप्रैल-नवंबर में कुल प्राप्तियों में 66.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो मजबूत कर संग्रह के वजह से संभव हुआ। इस बीच कुल व्यय, इसी अवधि में केवल 8.8 प्रतिशत बढ़ा था।हालांकि, नवंबर 2021 में कुछ गिरावट देखी गई, कुल प्राप्तियों में साल-दर-साल 19.0 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि खर्च में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।नतीजतन, नवंबर 2020 की तुलना में महीने के लिए राजकोषीय घाटा 21.4 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया।जबकि केंद्र ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए खर्च करना जारी रखा है महामारी में लागू प्रतिबंधों में ढील के बाद आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने से कर राजस्व में वृद्धि हुई है और इसके खजाने को भरने में मदद मिली है।"
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फिस्कल डेफिसिट से संबंधित कुछ बिंदु
बाजार से उधारी पर क्या है खास
अप्रैल-नवंबर 2021 में सकल कर राजस्व पिछले वर्ष की इसी अवधि से 50.3 प्रतिशत अधिक था, नवंबर 2021 में 18.2 प्रतिशत बढ़कर 1.78 लाख करोड़ रुपये हो गया।नवंबर 2021 की शुरुआत में घोषित पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती का कोई असर नहीं हुआ क्योंकि इस महीने के लिए केंद्र का उत्पाद शुल्क संग्रह अक्टूबर 2021 में 32,379 करोड़ रुपये से 37,867 करोड़ रुपये बढ़ गया। 2022-23 के लिए सरकार की कुल बाजार उधारियों के 11,58,719 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। 2021-22 के लिए इसके संशोधित अनुमानों के 9,67,708 करोड़ रुपये के बजट अनुमानों के मुकाबले 8,75,771 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
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